SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 497
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 488 APPENDIX III. No. 94: Śri Mahā Prabhūn ji kē Sevya Swarūpa. Subgtance-Country-made paper. Leaves-17. Size-61 x 5 inches. Lines per page-6. Appearance-Old. CharacterNagari. Place of Deposit-Archaeological Museum, Mathura. Beginning.-अथ श्री गोवर्द्धननाथ जी श्री गिरराज में सा प्रगट भए सा श्री प्राचार्य जी महाप्रभून सेव्य सात स्वरूप प्रगट होय के भूतल प धारे श्री महाप्रभू जो के सेव्य स्वरूप भूतल में जहां तहां विराजते हे सा लिख्यते श्री मदन माहन जी घर के ठाकुर सा वैष्णव के माथे नही पधगए सा प्रब जे पुरु में विपजत हैं श्री गोकुलनाथ जी श्री महाप्रभू जी को सुसगरि ते पधारे सो ताते वैष्णव के माथें नहीं पधराप सा अब श्री लक्षमण जो महाराज के माथे विराजत हे श्री विठ्ठलनाथ जी श्री गुसांई जो xxx End. -श्रो वालकृष्ण जो एक वैषाव के ठाकुर सेा अब कोटा में श्री माधोराय जी महराज के माथें विराजत हे ॥ ९२ ॥ श्री मदनमोहन जो जे मन जो रजपूत के ठाकुर सेा अब पुरबंदर में साभा बेटो जो के माथे विराजत हे ९३ श्री मदनमोहन जी नारायण दास गोडदेसवारे के ठाकुर सा व पुरवंदर में श्री गोपीनाथ जी महाराज के माथे बिराजत हे ॥ ९४ ॥ श्री मदनमोहन जी जगता. नंद के ठाकुर सा प्रब श्री गिरराज में श्री द्वारिकानाथ जी के मांये विराजत हे ॥ ९५ ॥ ई० श्री रावै कैकुलि से पू श्री भं स्तु Subject.-श्री महाप्रभु जी के सेव्य स्वरूपों के निवासस्थान । No. 95. Sringāra Rasa Mandana. Substance-Countrymade paper. Leaves -58. Size-82 x 41 inches. Lines per page-17. Extent -1,000 Slokas. Incomplete. Appearance -Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Lakshmana Kilā, Ayodhyā. ___Beginning.-(प्रथम पांच पत्रे नष्ट हो गये हैं) x x ज में के सिखर पा शब्दायमान करत हैं। त्रिविधि वायु वहत हे। हे निसर्ग स्नेहाद सषो • संवोधन ॥ प्रिया जू नेत्र कमल कूकछुक मुद्धित दृष्टि के वारंवार कछु सषी कहत भई ॥ यह मेरो मन सहचरो एक क्षण ठाकुर का त्यजत नाही ॥ और अत्यंत पातुर हू है। और ठाकुर के विविध भाव करि कटाक्ष छोडे हे वाण ॥ ठाकुर के इह भाव करि मेरी गति पंग होय गई । तातें चलत नांही। मधुर अव्यक्त मधुर नाद करि । मुरलिनाद करि । विशेष मोहित कोने हैं। वज नुवतिन के जूथ । तासू विलास केलि करि ताके वस होय गये ठाकुर ॥ तोहू मेरे नेत्र देखि
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy