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________________ APPENDIX III. 487 No. 93. Srimad Bhagavad Gita. Substance-Countrymade paper. Leaves-149. Size-71 x 5 inches. Lines per page-20. Extent-4,097 Slokas. Appearance-Very old. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1791 or A, D. 1734. Date of Manuscript-Samvat 1868 or A. D. 1811. Place of Deposit-Thākura Unnarāva Simha, Jakhaita, Bulandasahar. __Beginning.-श्री गणेशाय नमः ॥ श्री गुरुभ्यो नमः ॐ अस्य श्री भगवद्गीता माला मंत्रस्य श्री भगवान वेद व्यास ऋषि ॥ x x (गोता के ध्यानादि के मन्त्र ही हैं)। इति न्यासः के वाद-हरि गोरोस गणेश गुरु प्रनवो शीश नवाय गीता भाषाग्थ करौ मुने सोचर को भाइ ॥ धृतराष्ट्र उवाच ॥ श्लोक। धन्मक्षेत्र-+ + संजयः ॥ टीका ॥ धृतराष्ट्र पूछत है संजय सेा हे संजय धर्म को क्षेत्र पैसा जु है कुरुक्षेत्र ता विपै एकत्र भये है पारु युद्ध की इछा धरतु है असे जे मेरे और पांडु के पुत्र ते कहा करत भयो ॥ दाहा ॥ धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मिले जुद्ध के साज संजय मा सुन पांडवन कोहे कैसे काज ॥१॥ लोक ॥ संजय उवाच ॥ दृष्टा तु पाण्डवा नीकं x x मववीत ॥ टीका-अब संजय कहत है हे धृतराष्ट्र दुर्योधन पांडवन का सैन्य देषि द्रोणाचार्य पास जाय अरु वचन कहत भयो सा पांडवन को सैन्य कैसा है व्यूह कहै वनाइ के रच्यो है २ दोहा ॥ 'पांडव सेना व्यूह नषि दुर्योधन ढिग आइ निज प्राचार्य द्रोण सौ वाले मैंने भाइ ॥ २॥ श्लोक ॥ पश्येताम् x धोमता ॥ टोका ॥ हे प्राचार्य पांडु पुत्रन की बड़ी जु सेना ताको देषो कैसो है तुम्हारी सिव्य असा जुद्रुपद को पुत्र धृष्टद्युम्न तिन रची है ॥ ३ ॥ दाहा ॥ पांडव सना अति वड़ी आचार्य तुम देषि धृष्टद्युम्न तुव सिष्य नै व्यूह रच्या जु विशेषि ॥ ४॥ ___End.-नारायण निज नाम को धरौ देषि कै ध्यान शिव पारवती सो कह्यो लक्ष्मी सौ भगवान ॥ ९॥ तव लगि दीपति भानु की तापत है सव देश जव लगि दिष्ट परयो नही हरि गोता राकेश १० शशि रस उदधि धरा समित कातिक उजिल मास रवि पांचौ पूग्न भयौ यह गोता परकास ॥ ११३॥ इति श्री भगवद्गोतासूपनिषत्सु वृह्म विद्यायां योग सास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवादे दोहा सहित भाषा टीकायां मेाक्ष सन्यास योगा नाम अष्टादशोध्याय ॥ १८ ॥ संपूर्ण ॥ शुभं । संवत् १८६८ शाकांक १७३३ गतान्दान वर्षे मासेात्तम मासे पौष मासे शुदि सप्तमी ७ रविवासरे पुस्तिका लिषतं मिश्र मोतीराम गौड वाह्मण सौमना मध्ये पठनार्थी केवल कृष्ण नौगईया जद वंश विषै श्रेष्टं श्री श्री श्री श्री श्री श्री Subject.-श्री मद्भगवद्गीता की दोहा सहित भाषा टीका ॥
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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