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APPENDIX III.
End.-पाछे कालतिर करि के श्री प्राचार्य जी की कृपा सा बजलीला को दर्शन भयो । जेसे पंडरंग को पाइ देह सा व्रजलिला के दर्शन करवाए ॥ श्री विठलनाथ जी की प्राज्ञा सा ॥ वाको अधिकार विशेष हतो ॥ याको अधिकार न हता ॥ ताते जन्मांतर कर के व्रज की लिला के दर्शन भए ॥ पाछे ताहा ते उठ के श्री आचार्य जी तो अपनि वैठक में पधारे ॥ ताहा श्री भागवत को पारायण किये सात दिन को ॥ ३८ ॥ इति श्री पावार्य जी महांप्रभू जी की वेठक विष्णु कांची की चरित्र ॥ ३८ ॥ इति श्री आचार्य जी महाप्रभू श्री गुसांई जी की बेठक ए सब मिलि के बावन ॥ ५२ ॥ श्रीनाथ जी ॥ ५२ ॥ अवः॥ ८४ ॥ चौरासी बैठकन के नाम ताहा प्रथम व्रज में महाप्रभून की बैठक वाकी हे तिनके नाम लिखत हे दाहा में कए हे ॥१॥ दोहा ॥ अब श्री प्राचार्य जी महाप्रभून की चौरासी बेठक सुखदायें वज में वेठक वाइस हे करि दंडोत सिर नाइ ॥१॥ तिनो वेठक श्री गोकुल विषे मथुरा विदावन सुखदाई मधूवन कमोदवन बाहेाला वन विषे ताहा विराजे श्री वल्लभराय ॥ २॥ परासाली श्री कुंड पे सदु पाडे घर पाप ॥ मानसी गंगा गोविन्दकुंड पे तहां विराजे श्रीलक्षमण सुत मुखदाए ॥ ३ ॥ उपर मंदिर के विषे सुंदर सिला के पास ॥ कामिवन गहवर वनी संकेत वट विराजे नंदगाम खट मास ॥ ४॥ कोकिला वन भांडिरये मान सरोवर पाए । ए बावन वैठक नो रख के करि दंडात सिर नाय ॥ इति श्री प्राचार्य जी महा प्रभृन की पड़तीस वैठकन में चरित्र किए ताकी वार्ता संपूर्ण ॥ संवत्त १९११ मिती महासुदि १ श्री श्री
अपूर्ण
Subject.-महाप्रभु बल्लमाचार्य की शिक्षा । ज्ञान और उपदेश ॥ पृ० १९२ वचनामृत १९२-३०८ बावन (५२) बैठकों के चरित्रवर्णन । No. 90. Śila Rāsā. Substance--Country-made paper. Leaves-3. Size-5 x5 inches. Lines per page--12. Extent-45 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit--Pandita Rāma Gopālaji Vaidya, Jahāngirābād, Bulandasahar.
Beginning.-अथ सील रासा लिष्यते ॥ अरिहंतदेव मैं ध्याउ सही, जाकी कोरति जाय न कही ॥ जिनवर का गुण नाहों अंत छह काया पालै जीय जंत ॥१॥ इतनीक वात सोल को कहुं । मुख सूचा होइ सिव पद लहु । सीन वरावर नही धर्म जस कीर्ति हाइ टूट कर्म ॥ २ ॥ मीलवंत नर वैठे जहां । षीर पंड व्रत भोजन तहां सील विना जो मांगन जाइ | आगे वस्तु न पावै काय ॥ ३॥