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APPENDIX III.
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-13. Extent-800 Ślōkas. Appearance-Old. Character —Nagari. Place of Deposit-Sri Devaki Nandanacharya, Pustakalaya, Kamabana, Bharatapur.
Beginning.—श्रीकृष्णाय नमः ॥ श्री गोपीजन वल्लभाय नमः ॥ अथ श्री ऋतु की वार्ता लिष्यते ॥ ऐक समे गुसांई जी श्री विट्ठल नाथ जी श्री गोपालपुर में श्री गोवर्द्धन की सेवा करिबे को प्रातसमय ग्रस्नान करिकें ॥ अपनी बैठक से पधारे तव चतुर्भुजदास जी से प्राज्ञा कीये जो तू अपकरा कुंड ऊपर जाय ॥ रामदास भीतरिया से कहिया और तू आछे आछे फून लेत मइया ॥ ताहो समय चत्रभुजदास जी ॥ श्री गुसांई जी को दंडवत करि पूछरो की प्राडी जाब के || रामदास भीतरिया की गुफा में जाय के रामदास जी से कह्यो | जो श्रीगुसांईजी वेग बुलावे है || ताही समय रामदास जी श्री गिरिराज ऊपर श्री जी के मंदिर को चले ॥
End. - जो महाराज आप कृपा करि के जो स्वरूप के यहां को प्रज्ञा करी ॥ सेा तहां तहां हम सेवा करे तब श्री गुसांई जी ने सेवा वांटी || श्री जी के यहां कुंभनदास जी || और श्री नवनीत प्रिया जी के यहां कृष्णदास जी ॥ और श्री मथुरानाथ के यहां || छोत स्वामी ॥ श्री द्वारिकानाथ जी के यहां गोविंद स्वामी ॥ श्रा गाकुलनाथ जो के यहां चत्रभुजदास जी ॥ श्री गोकुलचंद्रमा जी के यहां परमानंद स्वामी ॥ या भांति आठो समान का आठो मंदिर की सेवा सांपी ॥ सा वार्ता ॥ इति श्री षटरितु की वार्ता संपूर्णम् ॥
Subject. — श्री वल्लभाचार्य को षटऋतु की वार्ता ।
paper.
No. 84. Satho. Substance-Country-inade Leaves-55. Size-82 x 5 inches. Lines per page-12. Extent--825 Ślokas. Appearance —— Old. Character—Nagari. Place of Deposit-Chandra Séna, Pujārī, Khurjā.
Beginning.—श्री गणेश जी सहाय नमै श्री सरस्वती जी सहायन्म ॥ (अ) ग्रंथ साठो लिष्यते प्रभव नाम समतसर टीका ब्रह्मा जी को विसी मास १२ का गुण ब्रह्मा स्वामी अनंत सीव होय सो राजा राज प्रजा सुषी शेोष्य पवत्र मेदिनी ॥ मग्वत्र वर्षत मेघा || असन सरवत्र निपजै ॥ सरवत्र शुभदानीत्यं सुभ सावत्र परजा भवेत ॥ वरषा मास ४ ॥ परिजा अपना देस शंभालसी ॥ पूर्व सूकाल सूचैन परिजा शुषो शुचैन ॥ पश्चम भलो सुरभी छ राजा राज परिजा सुषी || उतर विरोध विग्रह || मध्य देस शुभीष्य पांड देसो कलिंजर गढ विग्रह || जुद्ध हासी परजा सुषी राज विग्रह । विरोध अंन सुकाल ॥