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APPENDIX III.
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कर जारि ॥ चार दिवस तुम वसिये अब मुन विनतो पिय मारि ॥ १७ ॥ कायन तू पिय पिय करे पोय गये परदेस ॥ दोलन मिनी न पिय मिले रूपा हो गये केस ॥१८॥ जाड़ा अति पड़ने लगा थर हर कांपे गात ॥ हे वालम इण ऋतु महि किणसे करस्युं बात ॥ १९ ॥ सरवर में पंकज बसै गगन मांहि शशि वास ॥ मो दिल तो तामें बसै अब मिलने की आस ॥ २०॥ प्यारो जव से तुम गये नोंद न पावै मोहि ॥ चित्त प्रसन्न तो जव रहै नयन देखिहों तोय ॥ २२ ॥ इति ॥ अरवां खरवां लक्षमी उदय अस्त ले राज ॥ तुनसो रघुपति भजन बिनु सबै नरक के साज ॥१॥ इति श्री संग्रह सार संपूर्ण मिती आश्विन मासे कृष्ण पक्षे ३० अमावस्यां शनिवासरायां मन्यान्न ममय १९३४ लिखो संग्रही कृष्ण सिंह सादपुर निवासी ने भूल चूक होवे सा माफ करनां और पढ़ने वालों से मेरी जै श्रीकृष्ण वांचना ॥ • दोहा ॥ नहिं विद्या नहिं वुद्धि वल नहिं कछु अक्षर ज्ञान चूक करहुगे माफ सब ये वालक अज्ञान इति ॥ मुभ भवति ॥ श्री कृष्णार्पणमस्तु ॥
Subject. १-रसविलास १-२४ ग्रंथकार-चंदवागे वासी नंदलालात्मज कवि पीताम्बर २-मानविलास २५-४० ३-दोहा विहारी के ४१-४७ ४-फुटकर दाहा ४७ --५१ ५-भजन सत ५२-६७ ६-फूटकर ६७-६. ७-कवित्त-काशीराम कृत ७०-८२ ८- ,, दयादव कृत ८२-८६ ९- , वीरवल कृत ८७-९०
, मंडण कृत ९१-२४
नारायण कृत ९५–२८ पर्वत कृत ९८–१०२ सेनापति कृत १०२-१०४
गंग कृत १०४-१०८ १५- , निपट निरंजन कृत १०९-११२ १६- , अनन्य कृत ११२-११४ १७- , रसचंद्र कृत ११४-१२१ १८-ऊधव जी रा समय ग १२१-१२६ . १९-फुट कर १२६-१३२ २०-मालम शेष कृत १४० --१५५