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________________ 474 APPENDIX III. २१-छप्प छन्द १५६-१५७ २२-तुलसीदास जी कृत १५७-१६० २३-संगही कृष्ण सिंह कृत १६१-१६२ २४- , , , १६३-१६५ (१) सत्रह सै अरु दोई सम्बत लेहु विचार रस विलास पेथी रचो डारे दुःख निवार ॥ इस पुस्तक में श्री कृष्ण को विशाखा और ललिता ने परस्पर के गुणों के गान करते हुए श्री राधिका से मिलाया है। उपरान्त कई कवित्तों में श्री राधा का वियोग और इसको शान्ति कृष्णमिलाप से हो दिखायो गयो है। No. 77. Sārangadhara Bhāshā. Substance-Countrymade paper. Leaves-117. Size-83 x 6 inches. Lines per page-15. Extent-2,468 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Sainvat 1899 or A. D. 1842. Place of Doposit-Chiranji Lāla Vaidya, Jyü. tishi, Sikandarābād, Bulandasahar. _Beginning.-श्री गणेशाय नमः अथ सारंगधर भाषा लिख्यते परिभाषा ताल प्रमान । जो घर मै छेद दातु है ताकी जाल रंध्र कहत है सूरज को घाम पावति है तामै धूरि सो उड़ति है ताको नाम वंसी कहत है ता छह सो की एक मरोचि कहिये तिन छह मरोचि की एक राइ कहिये तोन राई को एक सरसौ कहियै पाठ सरसो को एक जब कहियै चारि जी को एक गांगची कहिये छह गांगचो को एक मासी कहिये पव मासे के नाम कहत है धन्या कहिये मास कहिये चारिमा को एक टंक कहिये अरु सानहि कहिये दो टंक का एक कोल कहियै कोल के नाम छह है व टक कहिये फिरि ता उरन कहियै तादा कोल को एक कप कहियै ता कर्ष को परिजाइ ताके नान अछित कहियै पिचुक कहियै अति न कहिये उदंवर कहियै पानतिल कहिये तंदु कहियै विडाल पद . कहियै कर मधु कहियै हंस पद कहियै मुवन कहियै लोक गिरा कहिय इति कर्ष की परजाइ ॥ __End.-अथ धूमपान विधि पट प्रकार के समन वृंहन रेचन कासह वमन धूप समन मन्यम प्रयोग वृंदन प्रजाय सनेह नेही मृदु है रेचन को प्रजाय सा धन है तोक्षण है कास है मर्द तन की भारी है दुषत है दिव्य वस्तु वृहतु है प्यास दाह ताल साष तथा उदर सरा तप तिमरी छर्दि दूरि हे।इ और जे. पुरुष याकै विवारि के जै क्यगे ते सव कामना को प्रात्ति हायंगे और विना शास्त्र जाने धन्वंतर की पद की प्राप्ति होयगी इति श्री दामोदर सूनुना सारंगधरेण विरचितायां संहितायां चिकित्सा स्थाने रसकल्पनाध्यायः शुभं भवतु श्री गंगायै नमः श्री गुरुचरण
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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