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APPENDIX III.
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Nágari. Place of Deposit- Sāliga Rāma, P. O. Jalali, Aligarh. .
___Beginning.-दोनवन्धु जगपति जगदीश जगदाधार तू। सर्व व्यापक सर्व शक्तिमान सर्वाधार तू ॥ पतित पावन दुःख टारन माक्ष भयं हरन । सत्तत्रि. त्तानन्द अनुपम न्यायी मंगल कारतू । तू अनादि अजन्मा अनन्त अभेद अन्तरयामी है । नित पवित्र अविनाशी है और अमर निराकार तू । जगदीश अजर अछेद हैं गणईश ज्ञान स्वरूप है। सब कुछ है तू हम कुछ नहीं महकूम हम सरकार तू । छाड़ कर तेरी शरण सेवक भला जांयें कहां । मात, तात, भ्रात, पित अरु मित्र गुरु परिवार तू ॥
End.-टेक तुम सुना सकल सरदार कहें हम हरे २ कहें हम कर जारीनाव हमारी आज लाज की पड़ी वीच मजधार सेा तुम कृपा दृष्टि बल्ली से नाथ लगाना पार ॥ कह हम ॥ टेक तुमसे हमका एक जगत में हम तुम्हें हजार । प्रीति आपके चरणे को हम मांगत हाथ पसार । टेक नाथ हमाग क्या विगड़ेगा जावे लाज तुम्हार भूल चूक सब क्षमा कीजियो अपनी ओर निहार टेक प्रेम सहित हम कर निवेदन नाथ सकल नर नार सेा लाज न तो हमारे ऊपर रहना नित हितकार--टेकः
अपूणे । Subject.-ईश्वरोपासना स्त्री शिक्षा और अन्य विषयों के ख्याल। .
No. 75. Saigraha. Substance --Bulky paper. Loaves -524. Size-7 x 3 inches. Lines per page --16. Extent -6,000 Slokas. Appearance-Not very old. CharacterNagari. Place of Deposit-Pandita Brahmānanda Misra, Assistant Teacher High School, Pratipagadh. ___Beginning.-श्री० दाहा ॥ सूमिनि पूछ सूम सा काहे बदन मलीन । की काहूं कछु गिरि परा या काहू को दीन ॥ उत्तर ॥ ना काहूं कछु गिरि परा ना काहू को दीन । देत देखा और को या सा बदन मलीन ॥ २ ॥ कवित्त ॥ वीसई पुष्टि हम बांटे हैं गिदौरा सुनि बड़े २ वैरिन को छाती फटि जायेगी। नाउनि अरु वारिन परोसी परोहितानि खोटी खरी वात कछु हमको कहि जायंगी ॥ सुनिये हलवाई-चलि पाई है हमारे यही डेढ टंक ब्रांड़ चहै औरो लगि जायेगी । फिरकी से छोटे दिमिर के जाटे जस कागज से मोटे बने बात रहि जायगी ॥३॥ पटुका मगवाय मुंह वांधा हलवाइन को चाशनी न .चाटि जाय जब लंग सियरायगी ॥ मृत्तिका मंगाय के कुटाव डारी भाठन को चूहा भी चूही मा फैमे