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APPENDIX III.
के खाय कमर का दर्द साई वफरा जाता रहै इति कोकांति भाग संपूर्णम् सुद्ध असुद्ध मम दोशो न दीयते लिख्यतम सय्यद माशूक अली स्थान आहार जिलय बुलं(द)शहर मिती आसाढ वदी ८ दिन मंगलवार सम्वत १०:२४ जिंदगी मेरी तुम्हारे हाथ है तुमको ये मुर्दा जिलाना वात है।
Subject -तन्त्र मन्त्र और औषधियां । No. 72. Sangraha. Substance-Country.mado paper. Leaveg-333. Size-9 x 5} inches. Lines per page :18. Extent--7,500 Slokas. Appearance-Old. CharacterNagari. Date of Manuscript-Samvat 1933 or A. D. 1876. Place of Deposit-Vaidya Asvani Kumāra, Baldéo, Mathurā. ___Beginning.-प्राधनो ॥ ग्रंथ रुक्मिणो विवाह लिख्यते ॥दोहा॥ कुंडनपुर का मांडवा ॥ जादापति की जांनि परणे राणी रुक्मिणी ॥ वर दुलहा घनश्याम ॥१॥ वैभ देश कुंडनपुर नगरो ॥ भोक नृप तहां नवनिधि संघरी ॥ पांच पुत्र जाको कन्या है रुक्मनी ॥ तोन लोक तरुनि मिररवनी ॥ ढाल ॥ तरुनी तोन लोक रवनी सुहस्त ब्रह्मा पचरची ॥ रंग मूरत रमा सर भर एकअंग नाहीवच॥ जगन डिमनकनननना भरत पिंगत्नपारखी॥ पोइस भूषन अंग विराजित दिनन पोडस वारखो। मृगराज कट त्रट मृगज लोचन मयंक वदन सु वसहो ॥ कहत कृष्णा दास गिरिधर उपजी वैद्रुभ देश हो ॥ १॥ दाहा ॥ कुडनपुर प्रगटित भई ॥ कन्या हम्पनी नान ॥ विहा करन भीमक नृात बुनाप सब गाम॥२॥
End.-राग विलावल ॥ यह धन धर्म हो ते पायो॥ नोके राखि जशोदा मैया नारायण वन आयो ॥१॥ जा धन को मुनि जप तप साधे वेद उपनीसद गायें। साधन घरयो ग्वीरसागर में ब्रह्मा जाय जगायो ॥२॥ जा धन तं गोकुल सुख पाई विगरे काज संवारे ॥ सा धन बार बार उर अंतर परमानंद संभारे ॥३॥ पद ६॥ अथ बारनामो के पद समाप्त ॥ संबत १९३३ ता वर्षे द्वितीय भाद्र पद सुदि ७ गुरु वासरे लिख्यतं पिया जीव राजनाथ णो लिखावत ठाकुर प्रासन थिर दास गो ॥ मादवा मध्ये ॥ शुभं भवतु ॥ कल्याणमस्तु ॥ लिखनी पुस्तका रामा ॥ परहस्ते पु यदा गता ॥ कदापि पुनरायामी धर्ट मष्टनं साभिता ॥६॥ शुभं भवतुः॥
Subject.-पद प्रवाधिनी के-१-८ रुक्मिणी विवाह । कृग्णदास कृत। यथा-हकपनि विवाह को जिन कृष्णे सोख मुनें जे गावें"८-१३ राधा