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________________ APPENDIX III. 467 Appoarance—Old. Extent-60 Slokas. Incompletc. Character---Nāgari. Place of Deposit - Saraswati Bhandara, Lakshmana_Kēta, Ayodhyâ. -wy Beginning. - श्री जानकीवल्लभो जयति ॥ १११ ॥ पह सगुन अछा है काम तुम चेतेोगे कुछ ईश्वर का प्राराधना करो मनोकामना होना निसानो तुम्हारे दाहिने भुजा पर तिल है विचारि लेना ११२ पह सगुन तुम्हारा मधिम है दुसरा काम तेरे है से नाहि होगा एक दिन तुमको मना है काली का पूजा करो संताप मटेगा निसनी तुम्हारी स्त्री दुष्ट वालंगी विचारि लेना ११३ पह मगुन का फन सुना प्रस्थान लाभ होगा वित्त का संताप छूटे पुत्र फल हाइ तुम्हारा दिन जत्रुन तो गया तुम विस्वास करो नित्यांनि दाहिने अंग तिलवा है देपो ११४ End. यह सगुन ते काम होगा और कुटुप का कलेस मिटेगा गुप्त बात किसी से कहना नहीं दिन बुग गया अच्छा दिन आया अवस लाभ होगा दुख मिटेगा जस होगा निमानी तेरे एक वर्ष अच्छा नहीं रहा विचार लेना २४१ यह संगुन तेरा मन्ना होगा विचार होगा स्त्री मिलेगी - पादेश का चिंता है सेा मिटेगा एक अ X X X X X X पूर्ण Subject. - सगुन प्रसगुन जानने की विधि । No. 71. Sambara Tantra. Substance-Country-male papor. Leaves-33. (Size - 72 x 6 inches. Lines per page—11. Extent-395 Ślōkas. Appearance-Old. Character—Nāgari. Date of Manuscript -- Samvat 1924 or A. D. 1867. Place of Deposit-Babi Khumána Sinhaji, Bulandasahar. Beginning.—ॐ श्री गणेशाय नमः ॥ जा नया लाह काला ठा जहाडा की कुंडी हमारा पिंड पैठा ईश्वर ऊंची म्हाताला हमारा पिंड का श्री हनुमत रवाना || या मंत्र को पढ़ि के ऋहि रहो कह चिताया की देह में न्ही उपजे सत्य सहो || बवासीर को मंत्र नुमती नुमती चल चल लाल सूत में तोन गांठ देकर ॥ २१ ॥ मंत्र पढ़ के पाऊं के अंगूठे में वांधे ॥ दम ॥ + + हा । रोग का काडा | Eud.—अफरा हाय अरंड का बीज पीस के आड पास लेप करे दर्द डी के नीचे गर्भास्थान के फूलने से मूसलो इसबद अमगंद सिघाडा थोडा गुड मिला
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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