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________________ APPENDIX VII. 465. गत अव ल न सुधि पाई ॥२॥ नाहैं कटति ये हिम ऋतु रतियां ॥३॥ साच शसिर कर देह दहतियां ॥४॥ बिरहि रूप कैसे कटेरी वसंता ॥५॥ विठुरन छुरी वियोगिन अंता ॥ ६॥ ग्रीषम मरन सरन हरिहर की ॥ ७॥ कब आवैगो घड़ी वुह झरको ॥ ८ ॥ कब सुनि हैं झांझन झझना ॥ ठाड़ें विदिस रौद्र विच कैनै लुकि गई रोक कहां कंजना ॥१॥ दाहा ॥ सुनि खंजन कहा कहत तू मनि बाल ये बोल ॥ विधि कर लेख न मिटत है, उन कर लिख्या अमान ॥२॥ जो लिखि दिया लत्नाट मैं, मटि मकै अस काइ ॥ जय और जोग वियोग पुनि, भोगादिक जे विगो ॥ ३ ॥ __End.-सवैया ॥ कछ षवरि नहीं जाने गेल कहां-जाने कहां है के वाको दगरी है ॥ प्राईवे को मुधि बुधि सव विसरी–विन जायें दीसे न वगरा है ॥ पावन ते गवन गवन नहि पावन-विन पावन विन मिटै न झगरौ है ॥ दगरी घगरी सव रगरी तजि, कृष्णा भजि नागर अगरौ है ॥ २२ ॥ गग मारठि ॥ अरी हम रतन जतन करि पायो-धनि महासागर है ॥ मच्छ कच्छ बाराह जा • नर हरि-बावन परशुराम कहि भवतरि-रामकृष्ण के रूपा ईश रतनागर है ॥ २३ ॥ वुद्ध शुद्ध भूपन कं भूपा-रटि कल्को धनि धन्य सरूपा-सूरज अगम जो धूपा चन्द ह ते आगर है ॥ भजि मन मुढ़ ये मंगल मूला, सब प्रकार है। तन मन शूना - कृष्णा ये अनुकूना रूप उजागर है ॥ २४ ॥ ___Subject.. - विविध राग रागनियों का संग्रह No. 68. Rukmiņi Maugala. Suistance-Country-made paper. Leaves-72. Size-6x7 inches. Lines per page14. Appearance-Oli. Character-Hindi. Date of Com. position-Samvat 1859 or 1. D. 1802, Place of Deposit Pandit Maho Tirtu Prasidaji, village Kapathua, P. O. Karachanā, district Allāhābūd. Beginning.-श्री गनससाएन्महः राम श्री भवानी माता सहाइ श्रो रुक्मिणो मंगल कथा लोखते ॥ चौपाई कहै परोछत सौ रोषा राइ, ऐह अक्षती मुक्षु कुंदशु नाइ पुनी वोचार कीन्हो मन माहो ॥ अब प्राद कनीजुग की छाही अवस अवस्वास बहुत भी हुई है ॥ खुरो बसुत सव के मन भै है ॥ तातं प्रव तजिऐ संसारा ॥ वन बसीकै मजोष करतारा | तब हर जु सो आयुसु लोन्हा ॥ उत्तर देसकी मनसा कोन्हा ॥ Lnd.-श्रो रुक्मिनो मंगल महा जानत है सब कोइ जो पीति दै गावै सुनै प्रेम भगतो वह हाइ इति श्री रुक्मिनी मंगल कथा समापती संपुरन मम
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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