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APPENDIX III.
inches. Lines per page-15. Extent 5,000 Slokas. Ap. pearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-. Samvat 1949— 1953 or A. 1). 1892--1896. Place of Deposit -Srimad Mataigadlıwaja Narāyaṇa Siuha, village Biswūna, Post Office, Aligarh. ___Beginning.-श्री सम्वत् १९४९ वैशाख कृष्ण ५ लिपि कृतम माखन शर्मा राग सर्वसंग्रह ॥ x x x धन चाट और चाट की ओट है ॥ याकी नहीं है ओट अधवर लोट जा लेत है ॥ ३१ ॥ राग ठुमरी ॥ विन साचै त ने कहा कीया परो स्यांपिनि क्या रक्त जु पीयो ॥ में जानी हो सांचै हैं मयूरा लिरिया वनि के वदलो लीयो ॥ ३२ ॥ ऊसर वाहुनाहु मुग्व क्या कही तजि करि नेम वृथा दुख दीया ॥ कैसे क मिटै सेत करो स्याहो कृष्णाफल पायो कर छोयो ॥ ३३ ॥ रेखता ॥ तू दुरि जो रैह्यौ अव मति जैयौ यो जार में ॥ मोना रो अब क्या वैठी सिर करि नोचा ॥१॥ अरे नोच अव हूं तो मुख मीचा २ पहिले हो साचि समझि के करता ३ और को पागि में काहे को जरता ४ दै के ग्रागि छोड़ि गये ताकी ५ कहा पूछत है तू अब मोका ६ जो कछु भयो राम ने कोया ७ जस अपजम संसार में लोयो ८ फल पायौ न इन व्यवहार में ॥ काहे को साच करत है कृष्णा न्याउ हाइ वा दरबार में ॥ ३४॥ ___End.-राग ठुमरी ॥ तैने जानो न पखेरू तू अति गंवार पहिचानी नहीं ऐसेन की सार, लंपट लवार कब उतरे पार ॥ पहिलै नारी के भरोसे वरसायौ मेह, तव जानी है अनारो सूवी रही है देह, धूरी की यारी नेह कहा करें पुकार ॥१०॥ दुजै हेमद रण लियो डोरा तार, निस दिन भाज्यो डोल्यो चारो ओर, धृक-धृक कर जोर पत्थर ते मार ॥ तोजे के कुकर्म कछु कहे न जाइ, तू तजि कृष्णा अव नहिं मुहाइ, ताते वहाइ घट पानी ढार ॥ ११ ॥५॥
___ 'अपूर्ण'
Subject.-राग सर्व संग्रह ११३ + १३४ = २४७
No. 67. Rūpa Mañjari Volume II. Substance--Country-made papor. Leaves-287. Size-11 x 7 inches. Lines per page-15. Extent-5,400 Slokas. Appearance-Old. Character- Nāgari. Date of Manuscript-Samvat 1953-1959 or A. D. 1896--1901. Place of Deposit-Stiman Matangadhwaja Nārāyaṇa Simha, Biswāna, Aligarh.. __Beginning.-श्री गणेशायनमः राग सर्व संग्रह ॥ रेषता ॥ ऋतु शरद मुहाई अति मुषदाई सुनि षंजना || पंजन रे वर्षा गई शरद ऋतु पाई १ शरदाह