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APPENDIX III.
459 मति पायों ॥ ६५ ॥ इति श्री रामायणे रामचरित्र अवतरणिका समाप्तमस्तु । धोरस्तु ॥ आयुष्मान् ॥
Subject.-श्री वाल्मीकीय रामायण की अवतरणिका अथवा विषय सूची • __ No. 59. • Rima Lila Nitaka. Substance-Country-made paper. Leaves-132. Size -7x10 inches. Lines per page --23. Appearance-Old, Charactor-Nagari. Place of De. posit-Bhārati Bhavana, Allāhābād.
Beginning.-श्रो प्रतिपदा सारठ गाय मुयश जिन लोन राम नाम सुन्दर सुयश । तिन तुलसी की दोन प्रणा कारज सिद्धि हित । प्रथम अंक प्रथम दृश्य । स्थान दशरथ की सभा । दशरथ राम लक्ष्मण वशिष्ठ तथा और लोग वैठे हैं। प्रतीहारी का प्रवेश । प्रती-महाराज को जय हो महाराज तपाराशि श्री विश्वामित्र जी आये हैं। दशरथ-ऋषि को उचित मत्कार पूर्वक ले आव । प्रती०-जा पाज्ञा ( जाता है और विश्वामित्र का साथ लिये फिर पाता है ) दशग्थ सभा समेत उठ खड़े होते है पार मुनि को वशिष्ठ के पास ऊंचे आसन पर बैठाते है। ___End.-विश्वामित्र आये वि०-(तिल करके) महाराज में विश्वामित्र हं मैंने संसार के हित कारण कृषी विद्या को वहुत वढ़ाया पर अव मुझे यह प्राशा है कि पापकी सहायता से यह और भी बढ़ेगी ॥ अपूर्ण
Subject.-नाटक रूप में रामलीला No. 60. Rāma Mantrārtha. Substance-Countrymade paper. Leaves-8. Size-71 x 6 inches. Lines per page-16. Extent-160 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Swini Rama Vallabha Sarana, Sad Guru Sadanaa, Ayodhya. ___Beginning:-श्री सीतारामाय नमः॥ श्री गुरवेनमः ॥ परात्पर परम पुरुष परमेश्वर श्री रामचंद्र के बिना जो और को अपना रक्षक मानते हैं सा मंत्र को मंत्रार्थ को नही जानते हैं वह परम पुरुष श्री रामचंन्द्र श्री अयोध्या जी में कल्प वृक्ष के तले रत्न सिंहासन पर विराजमान रहते हैं यद्यपि सा प्रभु शिव सनकादिक ब्रह्मादिकों के नैन गोचर नहीं तथापि हनुमदादि मुख्य पार्षद निज प्रभु श्री रामचंद्र जी का सेवन करते हैं वह महाराज सत्य काम सत्य संकल्प करुणा वीरादि अनंत कल्याण समेत हैं अनंत जे जीव महामाया वासना भव प्रवाह में पड़े हुए भक्ति ज्ञान से शून्य जानि के जगतपति श्री रामचंद्र श्री जानकी कृपारूपिणी