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APPENDIX III.
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अथाष्टकं ॥ गंगा जल उजल लक्षी रस मुजल निर्मल नीर भृगार भर कपूर मुवासित गंध सुवासित जलध्यारा वहु पापहरं जै जै जिन स्वामो सदा गति गामी जनम जनम तुम चरण नमो भवसागर तार दुरगति वारण चिंतामणि चिद्रूप समो ॥१॥
__End.-अथ जयमाल ॥ सकल गुण समुदं कर्म दावापयादं जन मरण शोकं प्रविधूसवन जगत सकल विकारं छिन्न माहारि पासं भवजननिधि रोत्तं पार्श्वनाथं नमामि ॥ ६॥ संसारार्णव तारण णावं ध्यानाचत कृत प्रगट स्वभावं कन्म महाकानन वन दहनं रूप सरूप विचिंतन गहनं ॥२॥ वाराणसी नगरो कृत वासं विस्वसेन सुत मति मुभ भासं मेहि महानत्न समन मुनीरं क्रोध विकट भट भंजन वीरं ॥३॥ साकिनो डाकिनो ग्रह कृत त्रासं भूत पिसाच विविध ज्वर नासं व्याधि विपम विष खंडन मंत्रं मुक्तिरमनि मोहन वर यंत्रं ॥४॥ व्याबोरग गज घन भय हरणं पाव जिनं वंदे तव चरणं पाप तिमर खंडन रवि किरणं दूरा कृत निष्ठुरता रमणं ॥ ५॥ इंद्र अमर नर व चर मुमहितं नागराज पद्मायती सहितं दूज्जैन मद मर्दन मृगराजं सेवक जनकृत सांख्य समाज ॥ मदन महारिपु चं धन पास कमठ महामठ मद हुत तामं चिंतामणि मुर वृक्ष समानं घाम धेनु वर करुणानिधानं ॥ ७॥ योगनि योग वियोग विमुक्त अष्टादस दौरैरपि मुक्तं जंतु दया कृत पारावारं भवियन जन जय जय निम्तारं ॥ ८॥ घत्ता ॥ जलारि गंधाक्षत पुष्पयोत्ति x x x x x x मोक्षायता ॥ २०॥ इत्याशर्वादः ॥ इति निय नेम श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ पूजा समाप्तम् । लिपि दिल्लापदे आचार्य श्री गुनाल कात्ति जोतसिष्य पंडित सेवाराम संवत १८२५ कात्तिक वदि ९ मुक दिन।
Subjeet.-पूजाविधान पाश्वनाथ का।
Note.-कवि ने अपना नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिखा है। हां, लिपिकर्ता ने अन्त में अपना पूर्ण परिचय अवश्य दिया है।
No. 49. Nitya kā pada, by different authors. SubstanceCountry-made paper. Leaves-99. Size-9 x 51 inches. Lines per page-18. Extent-2,135 Slokas. Appearance-- Old. Character--Nagari. Date of Manuscript--Samvat 1933 or A. D. 1876. Place of Deposit--Vaidya Asvini Kumāra, Baladova, Mathurā.
Beginning.-श्री गोपोजनवल्लभाय नमः॥ अथ नित्य के पद ॥ राग भेरवः॥ उठहो गुपाल लाल दाहो धोरी गइयां ॥ सद्य दृध मथ पोव हे। घइयां ॥१॥ भार भयो