________________
450
APPENDIS III.
No. 47. Narsi Mehatā kō Mābaro. Substance-Coun. try-made paper. Leaves--9. Size-5 x 21 inches. Lines per page-8. Extent--153 Slokas. Appearance--Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1914. Place of Deposit--Pustakālaya Makhana ji kā Bābū Lāla Pyārē Lāla Satgarha, Mathurā.
Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ अथ नरमो को माहरो निष्यते ॥ गण. पति की अग्या पाउ हरिभक्तन को जस गाउ ॥ एक उतिम कुन गुजराति वेदोना गढ़ के वासो पहलै हरि हो हर को धावै जल सु प्रस्नान करावै ॥ पत्र वील चढ़ावै चावर चंदन चरचावै ॥ नोहचै करि ध्यान लगावै ठाडो है गाल वजावै ॥ तव रीझे है शिवराजा मागो कहा तुमारो काजा ॥ तुम मागोगे साइ है तुम सो नही नाह कर है ॥ 'मेको र कछु नहो चहोये श्री राधा. कृष्ण मोलयै ॥ तब बोले है महादेव जो (वानो) वामै तेरे जीव को जानी ॥ तै वर माग्यो अति भारो॥ धनि नरसो बुधि तोहारी॥
End.-राग सेारठि ॥ ठाडे रह रे नरमो महता तनक तु ॥ दारोदारो टेरत पाउ एक वात सुनो जा॥ सान दुसाल घणे लढाये कहा जो हमकु कहा ॥ एक काप काचरी को माहो देकरो घर कु जा ॥ नरसो महता ताल वजाइ का पनको वरषा ॥ कोतेक काप जरीन के वरसे एकही लोयो उठाय ॥ धन नरसी जो वुध तोहारो कोना मोढे। साह कहै तव शंत सुनी प्रेम पीयारे भलो कोयो नोरवाह ॥ दोहा ॥ नरसा जो को माहरो गावै मुनै ज कोयः ॥ प्रेय लक्षना भको यह हरो पद प्रासो होय ॥ इति श्री नरजी को माहरो संपूर्ण ॥ मिति सावन वदि २ संवत १९१४
Subject.-नरसी महता की प्रशंसा___No. 48. Nitya Chintamani Parswanatha Puja. Sub. stance--Country-made paper. Leaves--3. Size-54 x 5 inches. Lines per page-14. Extent--45 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manus. cript-Samvat 1825 or 1768 A. D. Place of Deposit-Rāma Gopāla Vaidya, Jahāngirābād, Bulandabahar. ____Beginning.-अथ नित्य चिंतामणि पार्श्वनाथ पूजा लिष्यते ॥ सायं विदूर्द्धरेफ वहिरपि विलदायानाष्टाष्ट पत्रे दि श्वैः श्री हां स्मरेशंग जवशकरणं क्ष्या तथा जै पुनं हयं वाह्ये हा उंण माहं दिशि लिखत चतुः वोजक होमयुक्तं मुक्ती श्री वल्लभी सो भवनमपि वशं जायते पूजयेद्यः ॥१॥ x x x