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मोती न उगै ता चारी का बटा लागे ॥ सेा मोती का बाहना काहू ने कबूल किया नही ||
APPENDIX III.
End. - तव पातस्याह ने किला फते किया ॥ रांगी बहात स्त्री भेली हाय वलि गई पर अलसी का बेटा हमीर पहाडन मै रहता ॥ अर पातस्याह ने चोतोड़. का किला मालव दंस चाहांग कू सोप्या ॥ सा हमोर नें ॥ फल मुलक उकीया ॥ तब मालव देव नै हमीर कू बुलाय बेटी पराई घर मुनक आवा दान कोया । मालव देव मरि गया || अर बेटा न हुता तव हमीर कू बुलाय किला सोप्या से ताके सोलह हजार सवार चालीस हजार पयादे चाकर रहें बहोत मुलक लीया १४४ इति श्री किशा संपूर्णः ॥ श्रीरस्तु ॥ शुभं ॥ Subject.—१४४ दन्तकथाओं का संग्रह |
No. 40. Kitāwali. Substance—Country-mado paper. Leaves-24. Size-8 x 4 inches. Lines per page-14. Extent—340 Ślokas. Appearance — Old. Charaoter—Kaithi (Nagari). Place of Deposit-Bhaṭṭa Magana Lalaji Tulasi Chautarâ, Mathurãâ.
Beginning.—श्री गणेशायनमः अथ लिः कितावली ॥ कोता हैं। तेरे नाव कीं मैं विरद लुवां का कोता हैं। तेरे सुकर को अनवान व्यांका ॥ १ ॥ जिस गरद ऊपर पांव धरै तेरे रसूलां उस गरद की में कुहन करौं दीद या जांका ॥ २ ॥ मुझ सिड़क तरफ अटल सौं ऐ अहल हजा देषा तुझ इलम के चेहरे पे नहीं रंग गुमका ॥ ३ ॥ हर जरै आलमै है घुरे संद हकीको ॥ जो वझ के बुलबुन्न है। हरेक गुंच दहां का ॥ ४ ॥
End. - है जुदाई मैं जिंदगो मुसकिला ॥ प्रजुदाई न कर पुदा सें डर ॥ शामासिकों को सहोद कर कि सनम् ॥ कफहि नाही न कर पुदां सा डर ॥ ३ ॥ आरसी द्वेष कर न हो मगहर ॥ वृंदंनु माही न कर पुंदा सा डर ॥ ४ ॥ रास्त गेस से एक मां अवन ॥ कज प्रदाही न कर पुदा सा डर ॥ ५ ॥ इस से जा आसना है दरद नहीं ॥ ग्रामना ही न कर पुदा सो डर ॥ ६ ॥ ऐव लागे रास्ता नै ज़ार || जिमसाही न कर पुदा सा डर ॥ ७ ॥
Substance — English-made paper.
Subject. - प्रार्थना । No. 41. Koka Sastra. Leaves — 72. Size - 12 x 9 inches. Lines per page -- 22. Extent — 250 Ślokas. Incomplete. Appearance — New. Character—Nāgari. Place of Deposit - Lachhimi Narāyana, Village Thari. Tahasil Karachana, Distriot Allāhābād.