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APPENDIX III.
No. 37. Kavittāvali. Substance-Couutry-mado paper. Leaves-80. Size-52 x 4 inches. Lines per page10. Extent-1,000 Slokas. Appearance--Old. CharacterNāgari. Place of Doposit-Mayaua ji Upādlıyāya, Mathurā.
___ Beginning.-श्रीगणेशाय नमः ॥ अविघ्नमस्तु ॥ कोपि किरवान धरि बैरिनि के मीस पर पर पुर दर वर जारत उतार कर ॥ धरम धुरंधर पुरंदर गरव गर तोषि विप्रवर जोते पांची देव नर वर ॥ दान जत्न सरवर मुंदर उदार नर कीरति निकर तप तेज को सदाई घर ॥ दारिद दरद हर वारिद कनक झर वारिधि गभोरतर माधव महिंद्र कर ॥२॥ नपि २ रावरे को नीति राति गोति नि का अव सब भमि वरदान देन हरपो ॥ पंडे मंडलीक अरि झंडन के चंड मंड दाहिनी भवानी तेग तप तेज वरषो ॥ अत्रपति छत्रपति छत्र को नछत्र साहै जन पत्रवासै जोति सव x x ढालपी ॥ मायव महिंद जू कविंद्रनि की प्रासि पासो राजै इहि साहिबी को तुमको मुमाग्पो ॥ २ ॥ कैयो गउदारनि चलत अउदार सार साकरनि गउदार कजल पहार से ॥ तारनि मझार होर हारनि उदार सूर ससि छत्रवार भैर झांर चार ढारमे ॥ धारत पनार जन मुंडनि फुहार झर पारावार वार पार पारत पगार से ॥ भमि भरतार माधेवेस दरवार गजराजन हजार अरावत अवतार से ॥ ३ ॥
___End.-प्रात उठो पति सां रति कैं दुनही दुरि वैठि रही रस भोने ॥ नाज भरो मुख पोगे परो दुति दूरि गई उपहार नवीने ॥ स्याम दया नषदान उरोज कहे उपमा कवि गम प्रवीने ॥ मनां मनोहर मंत्रनु के वर अंक अनंग अलंकृत कोने ॥ २७४ ॥ कंचन सो तनु षीन करो निसि कान्ह नवान वधू विलमी कै ॥ ताहि विलोकि कर कवि राम सपो मव प्रात प्रकामु हंसो को ॥ मीम नवाइ रही दुलही तव यों निरष्यों मुष लाज गसो को ॥ छाडि मनो नभ के पथ को रथ भूमि धस्यो मधु भार ससी को ॥२७५ ॥ केलि कठोर करी हरि जामिनि भामिनि 'प्रात भए उठि माई ॥ चुनरि चारु गः भिड़ि के अग x x x
अपर्ण
Subject.-विविध कवियों के कविताओं का संग्रह ।
No. 38. Kavya Aiga. Substance-Country-made paper. Leaves-22. Size-10 x 6 inches. Lines per page20. Extent-450 Slokas. Appearance-Old. CharacterNagari. Place of Deposit-Ramana Lala Hari Chanda Chaudhari, Kõsi (Mathurā).