SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 438 APPENDIX III. ___No. 32. Jhana Tilaka. Substance-Country-made paper. Leaves-5. Size-8 x 3 inches. Lines per page11. Extent-90 Slokas. Appearance-Old. CharacterNagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya. Boyinning.-श्रीमते रामानुजाय नमः ॥ ॐ आदि जुगादि पवन अरू पानी ॥ ब्रह्मा विष्णु महादेव जानो ॥१॥ जोती सरूप कृपानिधाना ॥ अलख पुरुष अवगत अवसाना ॥२॥ मारग में एक मडीया सूरा ॥ जाका सत गुरु मिलिया पूरा ॥ ३ ॥ पांचौ परि एक घर ल्यावै ॥ चित के चौहटै न्याव चुकावै ॥ ४॥ आसा नदी निकट नहीं जाई ॥ भेद भरम मव दिया विहाई ॥ ५॥ चेतन के घर पहग जागै॥ ताको काल कहां कर लागै ॥ ६॥ है काउ अदलो अदल चलावै ॥ नगरो चार घृशन नहीं पावै ॥ ७॥ बुद्धि सेां काटि सवल नहि टूटै ॥ जाका मनसा डायन कहा कर लूटै ॥ ८ ॥ कह कवार साई वड़ भागो ॥ जाकी सुरत निरंतर लागी ॥ २॥ प्रादि अंत अनहद एक वाणी ॥ चौदह ब्रह्मांड रहा वर पाणो ॥ १०॥ जव पाणो में अंड उपाया ॥ तीन लाक उपरा जीमाया ॥ ११ ॥ सेवत अंड भये जुग चारो ॥ जहां उपजै ब्रह्मा त्रिपुरारी ॥ नाभ कमल ब्रह्मा चलि गएं ॥ जुग छुती मां भ्रमत भए ॥ १२ ॥ पार न पावै गगन अति भारी ॥ प्रापई पाप करै विचारो ॥ १३॥ कोहम काहं सिरजनहारा ॥ जीव जंत नहि होते कहत कवीर विचारा ॥ १४॥ गुरु रामानंद जी के वदन पर सदके करूं सरोरा ॥ प्रवकी बेर उवार लेहु स्वामी कमधुज दास कवोर ॥ १५ ॥ ___End.-जहां चंद विना चांदनी अग्नि विना उजियाला ॥ पंच तत्व मिल परसत जहां दान वाला ॥ ८॥ राखि राम्बि र मदन मृगा वाड़ी खाई ॥ मूल छोड़ हंसा कबहु न जाई ॥ ८९ ॥ पाताले वारी आकासे कूवा भरि भरि पीवै जो सिद्ध हवा ॥ ९० ॥ सिद्ध पीवे माधक पोव जा नर उतरे पारा ॥ ज्ञान तिलक का मरम न जानै जरि वरि हवि छारा ॥ ९१ ॥ इति श्री गुरु रामानंद कवीर जी का ज्ञान तिलक सम्पूर्णम् ॥ शुभमस्तु Subject.-ज्ञान के पद । ___Note.--गुरु रामानन्द कवीर की वाणी। No. 33. Jiotisha. Vichira. Substance---Country-made paper. Leaves-48. Sizs-8 x 63 inches. Lines per page-12. Extent-900 Slokas. Appoarance-Old. Character-Nāgari. Date of Manuscript-Sainvat 1923 or A. D. 1866. Place of Deposit-Chandra śena Pujarī, Khurjā.
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy