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APPENDIX III.
No. 29. A collection
Substance——
Leaves — 6.
of several Holis. Country-made paper. Size - 112 x 5 inches. Lines per page-11. Extent — 145 Ślokas Appearance— Very old. Character—Nāgari. Place of Deposit - Pandita Chandra Šena Pujārī, Gaigaji ka Mandira, Khurjâ.
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Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ राग गौरी ॥ पेलत फाग प्राजु रघुवंसी बोलत हो हो होरी || सुंदर स्याम राम साभानिधि वनी अनूपम जारी ॥ १ ॥ सुनि धुनि गान वाम निजु पुर की सिमिट जई एक ठोगे ॥ करि सिगार केसरि कुमुकुम घसि भरि भरि पुर टक मेोरी ॥ २ ॥ एक लिये कर वेन वासुरो गावति नवल किसेारी ॥ एक लिये कर बूका बंदन गुलाल एक दोरी || End.—राग सोरठि ॥ जमुना के तट श्री वृन्दावन हरि संग पेलें गोपि हा ॥ १ ॥ मोहन लाल गोवर्धन धारो ताको नष मनि पो हो ॥ १ ॥ सज सज लद तन पीतंवर कट कर मुख मुरत्नी धारी हो | टि टि पाग वनी मन मोहन ललना सबै हकारी २ साजि सिंगार चली वृज सुंदरि नप सिष साभा तानी लोक वेद कुल धर्म सहित काहु को वदति न कीनी ३ नेन सां नेन वेन कर से कर भुजा घरे हरि ग्रीवां ॥ मधि नाइक गोपाल विराजत सुंदर ताकी सवां ॥ ४ ॥ Subject. - होली संबंधी विविध गानो का संग्रह
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No. 30. Itihāsa.
Substance-Country-made
paper. Leaves 32. Size--10 × 6 inches. Lines per page-11. Extent—700 Ślokas Appearance — Old. Character—Nagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kōta, Ayodhya.
Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ निदाग नाम राजा था। एक समं निकट रिषभ देव के प्रावत भया । अरु प्रश्न करत भया कि हे ब्रह्म गुर में संसार सागर में डूबता है । तुम कृपा करके मुझको पार उतारो। तव रिषभ देव कहत भया । तं राजा समुद्र विना जल नहीं होता । अरु जल जब मुझका दृष्टि आवे ॥ तब बेड़ा लेकर तुझको पार उतारों । जब जन्न हो नहीं तब बेड़ा कैम कहिये ॥ तब पगसर मैत्रेय सां कहत भया ॥ कि हे मंत्र जैसे मैने तुझको चिरकाल कर उपदेश करत भया हो ॥ तैसेहो रिषभ देव || दस सहस्र वर्ष तक राजा निदाग को उपदेश किया ज्ञान का उत्पन न भया । मेगे तो अल्प बुध है ॥ अल्प भी क्या कहिए मेरे विषे तो बुध ही नहीं जब तक तूं आपही त्याग न करेगा || तब मैं क्या करें ॥
End.-मेरे कुल के सभ बुधहीन थे नहीं तो तीनों देवता को बस करना सुगम ही था ऐसे हो त्रिलोकी का राज करते पर किसी का भै न करते मेरे बड़े थे हरनावस ते आद लेकर से ऐसा सुष किमो ने नहीं जान्या सुतह सिद्ध प्रकाश