SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 435
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 428 APPENDIX III. जितने चंद्र परमीत होते है अरु बहुत त रथ करै तै फल हात है ग्रह बत दान फल होत है सा फल यैक एकादसो के करै हात है जो विधि सौ करे यह बात मैं कछु संसै.नाही ॥ End.--कार्तिक की शुक्ल पक्षि को ऐकादसी को कहा पुन्य है अरु कर फल है सौ रुपा कर कहिजै श्री कृष्ण उवाच तब श्री कृष्ण जू व हत है कैयाको पर वेधिनी नाम है ताके व्रत के कतै सकल पाप दूर होत है अरु ग्रह व्रत भृक्त मुक्ति को दाता है जो फल अनेक तीर्थ बत करै तै हातु ह अरु जो फन घस्वमेघ जज्ञ करै तै होत है जो फन राज श्री जज्ञ करै ते हात है अरु जेवत कर के जाग. रन करत है पुन सकत प्रवान दक्षिा देत हे तिनको बराबर मार एन्य नाही ग्रह जे गुरु सौ वाद करत है तिनकै धन संतान नाही होत है, जो फन्न संपून ग्थो के तीर्थ करै ते होतु है सा फल एक हो एकादसो के करै तै हात है अरु ज श्री परमेस्वर जू को सुमिरनु मनसा वाचा करत है तिनको . हिमा कौन पर कही जाइ जे प्रानी या कथा नाकै करि कहत है अरु सुनत हे ने संपर्न पृथी के दये को फल पावत है तिनको मुक्ति मै संसो नाही इति श्री पद्मपुराने एका सी म्हात्म्ये श्री कृष्ण दुहसिल संवाद कार्तिक को मुकल पक्ष को ए दस संबाधनो नाम चाबीसमोध्यायः इति श्री पद्मपुराने एकादसी महात्म संपूर्न समाप्तं संवत १८२७ मिती चैत्र वदी ३ Subject.-एकादशी महात्य । Note.-वर्षान्तर्गत जा चौवस एकादशी पड़ती हैं उनमें व्रत रहने से क्या फत्न होता है सब भलो भांति दर्शाया है। No. 21. Dayā Vilāsa. Substance-Country-made paper. Leaves-47. Size-12" x 5". Lines per page-9. Extent-845 Slokas. Appearance- Old. Character-Nigari. Place of Deposit-Swāmī Bāuke Lala jī, Ga lhamuktēswara. ____Beginning.-श्री गणेशाय नमः ॐ ग्रथ मंत्रः गज छांकाय क्षनो काने काली महाकाली स्वाहाः १.० रोज करना दिन ५० दृध टही घी स त मिसरी, बदाम छारा किसमिस मखाना गरो धूप मृतगंध की दना दवद्वार चंदन का धूप गूगुन सहत घीव जव चावल तिल दीवा घो का बालना उत्त कू मुहु करके करना ॥ प्र(थ) दया विलास ॥ अथ कंशकल्प ॥ सुरमा ॥ मरदासंख टंक ४ सजी खारटं ४ मास के गाद दही डारे करदन कर जब तार नुष मैं लगाव ता नुष काला हा पुनः लिम.ति से रात्री समे रं, के “त्त उर सै वांध प्रात समं सरसा का तल में पावला मिलाय कर धावे तै। कश बहुत नोक
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy