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________________ 426 APPENDIX III. End.-मू० प्रकृत्याभृत्याहं स्व सन इह सामन्त तिलको मन छत्रं पीठ हृदय शतपत्रं विकसितम् ॥ सुमानासम्ताजोर्जगदहमहं पूर्वमवतार्वचम्फतृ सीतारुण चरखयाश्चामरमिदम् ॥ १११ ॥ अब इस ग्रंथ का चामर रूप करि वर्णन करत हैं टी० हमसे अनंत सेवक रूपी प्रजानों से सेवित और उन्हीं के प्राण रूपी मन्त्रियों को समाज से उपासित और उन्हों के मन रूपी छत्र से शामित और उन्हीं के हृदय कमल रूपी सिंहासन के ऊपर सब जगत के कमलों के स्वामी और राग पूर्वक सब जगत के पालक श्री सीता जू के निकट में श्री सोता जू के गुणां से गुम्फित यह ग्रंथ रूपी चामर भी चल रहा है ॥ १११ ॥ __Subject.-भाषा टीका-'चामर' की, जिसमें श्री सीता जी की पटवन्दना है। No. 18. Chaturvinsati Tirthařkara by Haraji Nandana Substance-Country-made paper. Leaves --5. Size-53." x 5". Lines per page-15. Extent-65 Ślākas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Rama Gopāla jí Vaidya, Jahāngirābād, Bulandabahar. Beginning.-अथ चतुविंसति तीर्थकर उत्तपत्ति आउ वर्ण उन्नत तथान लक्षण लिष्यते ॥ छप्पै अजोध्यानरि जन्म आदि जिनेश्वर कहिये नाभिराय वरतात मातरु देवीला.यै धनुष पंच से देह वर्ष कंचन मै पैषौ चौरासी लक्ष पूर्व प्रायु जीवित सुलेषा वृषभ अंक करि साय हीये चौरासी गरम धर धणी कैलास गिरि सिर गति गये सार करौ सेवक तनी ॥१॥ जिन शत्रु नृप तात मात विजया गुण मानह गण धरन उसार हस्ति लांछण सुविमालह पीत वर्णन सकाय मायु लत वहैत्तर गनिय चार से साठा धनुष देह उन्नत शुभ मानियै ॥ नयरि प्राध्या तेह तनो वृषम वंस वं.दत चरन सम्मेसिपर मुकतै गये अजित नाथ मंगल करन ॥२॥ ____End.-कुंडलपुर वर ग्राम नाम ते वीर वर्द्धमानह सन्मतो ते महावीर महतो म वोर सुजानह । मप्त हस्त शुभ देह तेह सुवर्नहि जाना ॥ नाथ वंस विष्यात हरिय लक्षण मन मानौ ॥ दस एक ऋषी वरन मै मिदारथ कुल उपना चिसलाज पुत्र भव भय हरौ पावापुर जेह नीपमा ॥ २४॥ जिन चर प चौबोस सेवता f-व सुवि सुष लहियै तिन वर ए चौबीन पूजितै पातिक दहिये जिन वर ए चौबीस ए सम नाहो उत्तम कहै हरतो तंदन सार तानु नंदन चंदन सम । वृषभ दि वीर सन्मति सकल कर्म येक कनिमल हरन देवाधि देव सुरपति नमित संकल संघ मंगल करन ॥ २५ ॥ इति चतुर्विशति छप्पय कंद वर्णन समाप्तम्। Subject.-चतुर्विंशति तीर्थंकर का चरित ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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