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Beginning. - अथ भक्तामर स्तोत्र रिद्धि वा मंत्र वा गुण लिप्यते भक्तामर प्रणत मालि मणि प्रमाणमुद्योत कंदलित पायुत मोखितानां सम्यक्प्रणम्य जिन पाद युगं युगा दा ४ ॥ १ ॥ रिद्धि ॥ ॐ ह्रीं णमो अरिहंताणं खमा जि गं ॥ ह्रां ह्रीं ह्रीं हः ॥ असि ग्राउसा अप्रति चक्रे फदुवि चक्राय हों ह स्वाहा ॥ अथ मंत्र ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लू को ॐ ह्रीं नमः ॥ अथ गुण ॥ इह काव्य वा मंत्र पढ़ने तै सर्व संपदा लक्ष्मी प्राप्त करे ॥ १ ॥
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APPENDIX III.
End. -ठतालीस काव्य तथा मंत्र जपने पढने काव्य के सर्व सिद्धि मन की चिंता कार्य होय जिसकां वसिकी याचा है तिसको नाम चित मे धरि जप करे तथा काव्य पढै तो तुरत वसि होये सभ्यक्त परतीत कार्य सिद्ध होय ॥ इति गौत्तम स्वामि विरचिते प्रठतालोस रिधि मंत्र कथन काव्य मानतुंगाचार्य कृत भक्तामर स्तोत्र मूल काव्य रिद्धि मंत्र गुण फल समाप्तम् लिषतं पंडित गुलाल कीर्त्ति जी अग्रवाल आम्नाय दिल्ली पदं चाचार्य तत् सिष्यं पंडित सेवाराम त्रिपाठी लक्ष्मण पुरी मध्ये पार्श्वनाथ चैत्रालये मूल नायक ग्रहे ॥ शुभं भवतु अनित्यं जीवितं लोकं अनित्यं धन यौवनं अनित्यं पुत्र दारा च धर्म कार्त्ति यस थरः ॥ १ ॥ धर्मो मित्र सदा वंधु धर्म स्वामी मुषाकरः हितं करोति जंतूना मिहा मुत्र च सैाख्यदं ॥ श्रीरस्तु श्री १०८
Subject. - जैनी मन्त्रादि ।
Noto. - 'भक्तामर ' मूल, मानतुंगाचा कृत् । टीकाकार का कोई पता नहीं । लिपिकर्त्ता ने अपना पूरा परिचय पुस्तक के अन्त में दे दिया है, पर टीकाकार ने नहीं । समयादि का उल्लेख नहीं है ।
No. 14. Bhasha Phuṭakara Chhanda. SubstanceCountry-made paper. Leaves--32. Size-8" x 3". Lines per page-26. Extent-850 Ślōkas. Appearance-Old. Character Nagari. Place of Deposit-Bhaṭṭa Śrī Maganaji Upādhyāya, Tulasi Chautara, Mathurå.
Beginning.—श्रो गणेशाय नमः ॥ श्री सरस्वत्यै नमः ॥ विघ्नमस्तु ॥ भाषा लिष्यते ॥ जनकसां जाचना करी हो जाइ सौ सकल तनक न मानी रह्यौ और मुष जाइ है || विस्वामित्र ही की विश्वास आनि वीस विसे को नि पाइ दीने बड़े कुन बिगाइ है ॥ लंकेसुर पास ग्राइ लेत है उसास महा माल्यवान चक्रन यो बालै पल दा है ॥ स्यैा की सराम्मन मंजि मिया के सुयंवर मैं कौन जाने रावन के राम वैरी होत है ॥ १॥ तेरे नैन कलि मैं कल ग्वृछ पैदा भर ताके वीच मेरे नैन चाहत प्रकार हैं | तेरे नैन मदन मृदंग घन तार बजे ताके बोच मेरे नैन नाचिबे को मार हैं || तेरे नैन पावस की कारी अंधियारी रैनि ताके