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APPENDIX III.
भांति सीक्षा गुरु ता पशु पच्छी देव मनुष्यादि सर्व रूप वहु कहा ब्रह्मा सू लै दूब पर्यंत तहां सीक्षा पे दृष्टांत जैसे विद्या गुरु ने कथा प्रसंग मै कह्यो परे जा काहू कूदुष दै कै तूं सुष भागंगौ संसार के पाप स्वारथी तो तू नरक में परैगो तब याने विचारपोरे कोने नरक देष्यो है यों समझि मंदिर तें निकस्यौ तबहों आगे एक पशु विकल परगै देख्यौ ताके कृमि परि गए नीच पच्छी ताके मांस कूपोंट मारि भषै सेा सिर धुने असे ताहि महादुषी देषि तहां सीक्षागुरू सुरति करै न तो यह पशु है न ये कृमि हे न ये काक है न याका कछु दुष है ये तो सर्व सीक्षा गुरू रूप है। ___End.-निज गुरुनि की अरचा यह जु सर्वस्व आत्मा समर्पण करनों तन मन धन करि अप्ट प्रहर आज्ञा पालन करनों जा बेचि दें तो बिकि जाना जा समै या मारग में मन थिर न रहै ता समै धिकार माननों और कांतरूप हार की अर्चा परम गुरुनि के अनुसार और नित्य विहार में देउनि के मिलिवे को दृढ़ विस्वास और मित्र रूप हरि को आर्चा निज गुरुनि के अनुसार x x x अपूर्ण
Subject.- भगवद्दर्शन के उपाय । गुरु भक्ति-और सद्गुरु के लक्षणादि का वर्णन ।
Note:-गद्य। No. 12. Bhāgavata Chakra Pañchama Skandha Substance-Swadesi paper. Sheet-1. Size-Circular having a diameter of 25". Appearance-Very old. CharacterNagari. Place of Deposit-Pandit Jauhari Lila Sarma, Bulandasahar.
Beginning.-हिरणमय खंड कूर्मदेवा रम्यक खंड मत्स्य देवता।
End.-क्षोरोद १०००००, प्लक्षद्वीप २०००००, इक्षुरसाद २०००००, शाल्मली द्वीप ४०००००, सुराद ४०००००, कुश द्वीप ८०००००, घृतोद ८०००००, कोच द्वीप १९०००००, क्षीगद २६०००००, शाकद्वीप ३२०००००, दधि मंडेाद ३२०००००, पुस्कर द्वीप ६४०००००, ग्मनक खंड मानसात्तर गिरिः, शुद्धोद ६४०००००, शुद्ध भूमिः १५७५०००००, कांचनी भूमिः १३९०००००।
__Subject.-भागवत पंचम स्कन्ध के अनुसार पृथ्वीखंड सागर इत्यादि का परिमाण दर्शक चक।
No. 13. Bhaktamara Stotra. Substance-Country-made paper. Leaves-14. Size-5" x 6". Lines per page16. Extent-210 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Place of Deposit-Pandit Rama. Gopalaji Vaidya, Jahāngīrābād, Bulandasahar.