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APPENDIX III.
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मति कछ वरनी न जाई जानिया यह दाम है ॥ द्वारिकेस निराध मागे यही फल को स ॥ २९ ॥ इति श्री मूल परुस संपूर्णम् ।
Subject.-कृष्ण चरित्र और श्रा वल्लभ चाय, गोस्वामी विटूननाथ आदि के संक्षिप्त पाख्यान।। • Note.-संभवतः वल नभ संप्रदायानुयायी कोई गोपालदास वैष्णव इस ग्रन्थ के रचयिता हैं। कुछ पदों में इसका नाम अाया है; और कुछ में नहीं।
No. 10. Barņa Pariksbā. Substance--Country-made paper. Leaves-45-page 70 to 1 4. Size-9" x 53". Lines per page-17. Extent-1,195 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of ManuscriptSamvat 1810 or A D. 1753. Place of Deposit -Babu Purus. hottama Dāga, Vibrāma Ghāța, Mathurā.
I eginning.-श्रा म. गणपतये नमः ॥ जो विविह । मत्त । सा पर । पारं पत्तो वि। विमान मह । हेलम् ॥ पदुन । ग्राम तरमा । णाओ । सा पिङ्गलो। ज आई॥१॥ दाहो। संजुत्त परा। विंदु जुना। पाङि ग्रो। अचरण । त्ते ॥ सगुरू । वङ्क दुम तो। अणेा। लहु । होई। मुद्ध । एक अला ॥ २॥ जहा । मा ( रूए । हे पा। हिणा। जिणा। अबुट्टा । देखो। सम्भु । कामं । त्ती सागारी । गहि क्षणं । कुणइ ॥ ३॥
___End.-चउ गाल मनु छंदा पहु जाणहु वरणहि कइसु हण्णा एप अमन मुर अस आर युद्धिम्मिवे विग ईर इक्रवत पंचम अक्खर दह वण्णा या उएण हानि वेहात हवि विसगा पिंगन पारेण रारि संभण अम् ॥ तंपा उए गण णिव म इज सूरा पछिमे उ अइ ॥ इ अमहा का सिर पिंगन विरह अवि इ मत्त वगरण परिछे ण समत्तो ॥ संवत् १८१० श्रावण वदि ६ ॥१॥
Subject.-प्राकृत भाषा में पिंगल ।।
No. 11. Bhagavad-Darsana Stotra ki Varta. Substance-Country-made paper. Leaves — 14. Size-3.5" x;". inches. Lines per page-7. Extent-110 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Natthi Bhatta, Govardhana, Mathura.
Beginning.-श्रा हरिरवा जति ॥ श्री भगवद्दर्शन स्तोत्र को वार्ता ॥ दाहा ॥ श्री केशव प्राचार्ज भजि श्री हरिःव सुजान ॥ चरन सरन तिनके भएं होत प्रेम गुन गांन ॥१॥ अथ वार्ता ॥ जोव को प्रभु जीव कहा अपुनपी ताको प्रभु एक कृग सादा रूप श्री गुरु और हरि श्री गुरु नारि रूप सीक्षा गुरु विद्या गुरु परम गुरु निज गुरु या भांति श्री हरि चारि रूप कांत मित्र मुहृद सेव्य या