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________________ 420 APPENDIX III. No. 9. Vallabhākhyāna. Substance--Country-made paper. Leaves-11. Size-12" x 5" Lines per page25. Extent-345 Slokas. Appearance-Old. CharacterNāgarī. Date of Composition-Samvat 1611 or 155+ A . Place of Deposit-Sri Dēvaki Nandanāchārya Pustakālaya, Kāmabana, Bharatapur State. Beginning. श्री कृष्णाय नमः ॥ अथ वल्नमा ज्यान लि व्यते ॥ राग कंदारो ॥ वदू श्री विट्ठ नवर मुंदा नवघन म्याम तमाल ॥ जगतील उद्धार करे वा प्रगट्या परम दाल ॥१॥ श्री परुषोत्तम स्वतंत्र कोडा लीला द्विज तनुधारी ॥ सात दिवम गिरवर कर धामो वासव वृटि निवा॥२॥ ते प्रगट्या कारन कहिये जो श्रोता मन अणे ॥ करो कृपा हूं क के बीननी पोताणा करि जाणे ॥३॥ व्यापक रूप अद्वैत ब्रह्म जे तेजामय कहेवाये॥ प्रारज पंथ अधिकारी मुनि जन ते माहे ले थाये ॥ ॥ अक्षर आदि पखंड अनूपम उपमां कहीय न जाये ॥ अस्तु अस्तु मह कोमल बोल निगम नेति नेति गा॥५॥ निर्गन ना नि देस अटपटा रमना श्री पेरे कहिये। रूप वरन वप ष्टि पदारथ त्यहा एEानव लाये ॥६॥ तेहथ को पुरुषोत्तम अलगा लीला अबल विहार ॥ व मज्ञा । तं मुक्ति पारगो स्वप्न नही व्यवहार ॥ ७॥ कड़वा पंचम ॥ राग परजिया ॥ मगुन सनेही सवना बाला ग्रहर्निस दरसन आपो जो ॥ परम सुख दंवाने का जे वनमं उन्न थिर करि थापा जा ॥१॥ श्री वल्नभ कुंवर कोडा मनात मारू नाम निरतंर नीजे जी रूप सुधारस माधुरो ते लोचन भरि भार पीजे जा ॥ २॥ ते पद म्या रे देख सूजे गाधन पुठल धाये जो ॥ ब्रजमंदगे मुख पामीने वारंवार आघाये जो ॥ ३॥ दिवस सर्व मामा मनो रमरूप त । जस गाये जी ॥ रूप मंडली मध्य देखो ने वारंव र मुख प.ये जो ॥ ४॥ वासर निरवा एम करे मखा सायंकाल पेखे जी.॥ अलक मुब खुरज लगी कमन भ पर विसे वे जा ॥५॥ गोप बालक मंडली मधे रंग अनेक उपजावे जा ॥ मत गज गति मन पता श्री गोकुल माहे प्राव जो ॥६॥ ___End.-अगहन शुदि माते श्री गोकुनाति ॥ जम म्वरूप माला थापति रति ॥ सारह मे ग्यारह कातिक सित ॥ अक वुध रघुनाथ श्रा सहित ॥ टेक ॥ हेत निज अभिधान प्रगतात पाग्यां मानि के ॥ तिथि क ना बुध कटि पुरन विमान ज्ञान वष निके ॥ यदुनाथ प्रगटे रह्यो वि ह था घायाम रूप क ॥ मह कृष्ण तेरसि द्योस रविजुत जे जे सकन्न कना श्रा चिटुन भूप के ॥ २१ ॥ भांमिनी रानो कमना वरवांना ॥ पावती जानुको महारांनी ॥ कृपावतो मिनि साता सुहाई ॥ यह पलोकिक रूप महाई ॥ टेक ॥ महा पोनिक अमिन या अलौकिक अष्टछाप हें ॥ अलौकिक ये भक्त जन जे स.नि लोन पाप हे ॥ यथा
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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