________________
APPENDIX III.
419
संग धायें ॥ उदैतन भटि तान मगरे | बंध इक भटि माई हां जारे ॥ १८ ॥ थिति र सिवि महिजि विराजे ॥ तीनि लेाक नायक थिर वाजें ॥ मता सुम पिव्यम्मी षये ॥ उदै तनै द्वादश भट वाये ॥ १९ ॥ भैसे प्रातन सिवि सा जावें ॥ या विधि कर्म वंन को ढ वै ॥ लै मुष कालि अनंता राजै ॥ तें निति पूजों भव सिवि काजै ॥ २० ॥ निधि धन मिधि अनतें जानों ॥ ईक में मिध अनंते माण ॥ सबहो सम सुष है सम ज्ञांना बिन मरत चेतन भगवान ॥ २१ ॥ जा सिध सुष सेा जग में नाहीं जग दुषजे नहीं मिध ठांही ॥ उनके मुष की को कवि गावें ॥ जाये से सब कर्म नावै ॥ २२ ॥ उनों से एंड न पावें ॥ अधिक कहा फल मृष तें गावैं ॥ या फन सुन हम मन लनचायै ॥ तातै छोड़ि निरनायै ॥ २३ ॥ दोहा ॥ धाय कग्म रज सिव वरो ॥ महां सुभट ॥ नाय । ते सिथ सब को सरन हैं | और कहा थुन भाय ॥ २४ ॥ ते सिधि सत्र का सग्न हैं | आरिक नम स स कारने || भक्ति मां मम नाय ॥ पूजै सा सित्र सुत्र नहैं | और कहां अधिकाय ॥ २५ ॥ इति श्री कर्म दहन विधान संपूर्ण ॥ मिता भादी मुदी ५ संवत १९५६ ता दिन प्रति संपूर्ण समाप्ता ॥
॥
॥
Subject . - विधान कम्भों के ।
No. 8. Badrī Nātha Stotra.
Substance-Country-made paper. Leaves-2. Size – 4 " × 4”. Linos per page-8. Extent – 6 Ślokas. Appearance —011. Character-Nagari. Place of Deposit – Pandit Rāma Gopala Vaidya, Jahangir. ābād, District Bulandasahar.
Beginning. - . - राम सति ॥ श्री गणेशाय नमः पवन मंद सुगंध सितल ॥ हम मंदर सात्यं ॥ श्री नार गंगा बहत निरमलः ॥ श्री वद्रिनाथ विसंभरं ॥ १ ॥ शेश शुमने करत निसि दिन | ध्यान धत्त महेसरं ॥ वेद ब्रह्मा करत प्रस्तुत ॥ श्री वद्विनाथ विसंभरं ॥ २ ॥ चन्द्र इन्द्र कुंमेर दिन क धूप दिन प्रगासनं सकन मुन जन करत जै जै श्री नाथ विसंभरं ॥ ३ ॥ जक्त किंनर करत कालिंग ॥ श्रानगां धूप गायत्यं श्री लक्छमि कवला चोर ढोर श्री बद्रीनाथ विसंभरं ॥ ४ ॥ शक्त गोर गणेश सारदा नारद मुनि धुन उचरं ॥ जोग ध्यान अपार लोला श्री वशिनाथ विसंभरं ॥ ५ ॥ श्रो वद्रिनाथ जी के पांच रतनं पढ़ने पाप विनासनं कोट तिरथ की का पुंन्यां लभते फल दायकं ॥ इति श्रीमत संकराचार्य विरंचत्यायं x स्तुति नाम प्रस्तोत्र
X
x
x
X
x
X
X
X
Subject. - स्तुति |
Note.- कवि का नाम - श्रीमच्छङ्कराचार्य दिया है, परंतु किसी दूसरे का बनाया जान पड़ता है ।