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________________ 418 APPENDIX III. - ___End.-सहज सुभाव फिरत जमुना तट पाढ़ि वसंती सारी ॥ पापुन जाय कदम चढ़ि बैठे हाथ लीये पिचकारो ॥ भरि पिचकारी मेरे सनमुष मारी मुर गई वेसरि सारी ॥ सारी का रंग सबरी उतर गया लहंगा पर गयौ भारी॥ रेशम बंध कुचन के टूटे झरि गई कार किनारो ॥ भोर भई राम मै कैसे जावों मेरि सजनो लोग हसैं दैतारी ॥ चंद्र सम्वी मोहि डर है पिया को सास लड़ेगी न्यारी। आ होरी समा ग्राजु महा मंगल सेसाचल श्री व्यंकटेस पग धारे री मंगल. सेस गोरी सुभ राजे मंगल हरिपद धारे रो ॥ टेक ॥ मंगल धनुष वाण कर धारे श्रवण(न) कुंडल राजैरी ॥ मंगल अरध दसन मुख शोभा कीट मुकट सिर धारे रो ॥ मंगल रूप देव वर साभित सकल जग कवि वारैरी ॥ रामचरणदास व्यंकट सरनागत निज प्रण वाह गहा पक(रे)री ॥ ३॥ इति श्री भजन गौरी धुनि आर्ति मंगल समाप्तं ॥ संवत् १९२९ ॥ Subject.-भजन संग्रह । ___No. 7. Ashtaa Karma Dahana Vidhāna. SubstanceCountry-made paper. Leavos-16. Size -12" x 6". Lines per page-10. Extent-620 Slokas. Appearance--New. Character-Nigari. Date of Manuscript--Sanvat 1956. Or A. D. 1899. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Jaina Mandira. Khurjā. Beginning.-ॐ नमः ॥ सिद्धेभ्यः ॥ अथ अष्ट कर्म दहन विधान पूजा लिषिये है ॥ अडिल छंद ॥ लाक सिष रतन छोड़ि अमूरति हाय रहे ॥ चेतन ज्ञाता मुभाव विगेय ते भि निभहें ॥ लोकालोक मुकाल तीन सय सिधि घनी ॥ जोनी मा सिद्धदेव जजो वहु थुति ठनो ॥ १॥ ॐ ह्रीं नमा सिधाणं ॥ सिध प्रेमप्टीभ्यो नमः ॥ अत्रावलः संवाषस्थापनं ॥ अत्रावला तिप्ठः तिष्ठः ठः ठः स्थापनं ॥ प्रात्रावल मम सनेहो तो स्थापनं ॥ चाल जोगीराम से की ॥ अजर अषंड सदां अविनासी तीन लोकि सिरताजा ॥ है सरवज्ञ अनाकुल मरत तीन भुवन के राजा ॥ अस सिध सदां तिनि के पद पूजों भक्ति उपाई ॥ षीरोदधिजल कनकभार निग्मन उ! कर भाई ॥२॥ॐ हो सिद्ध प्रमेष्टीग्यो नमः ॥ जल ॥ वात वलयतन बात तीसरी ॥ तामै तन थिति कीनी ॥ आवागमन रह्यो भव भीतर अपनी परनति चीनी ॥ जैसे सिद्ध सदा तिनके पद पूजों भक्ति उपाई ॥ वांवन चन्दन घिस जल निरमल अलिकति सुषदाई ॥ २॥ ___End.-उदै तनों इक जोधा पोय ॥ तवि प्रातमद्वादश पुर जाय॥ उलधि ज्ञार मोगठाई हां प्रायः ॥ माहित नौ सविकुल षय लायौ ॥ १६॥ फिरि ईहां ते जिण पद में धायें ॥ षोडस भरि सत के डायें॥ उदै विषै घोडस ये हो मारे । घंध सुटि प नहि निहारे ॥ १७ ॥ तवै प्रजागि दीप में आयें ॥ सता केसव भटि
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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