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________________ 416 APPENDIX III. है ॥ श्लोकः ॥ मनः संकल्पकं ध्यात्वा सं क्षप्यात्मान बुद्धिमान || धारयित्वा तथात्मानं धारणा परिकीर्तितः ॥ १८ ॥ · End. — श्लोक ॥ चतुर्भिपश्यते देवान्यंचभिस्तुल्यविक्रमः इच्छयाप्नोति कैवल्यं षष्टे मासि न संशयः ॥ ४३ ॥ टीका | अरु जो पैसे ही मार्ग पकान के : छोरि ॥ सेा चार महीने नाल देवतान्को दर्शन पावते है ॥ प च महीने नाल देवताक समान होते हैं | यह छे महिने विषै ॥ इच्छा साथ परमानंद परमात्म रूप ॥ एक जान के पावते हैं ॥ तैस मैं संसा कछु नाहा ॥ निश्चय कर जाणे ॥ ४३ ॥ इति श्रो द्वितीय खण्डेऽथर्ववेदे अमृतनाद विन्दूपनिष समाप्तः ॥ शुभम् Subject.—ब्रह्मज्ञान पृ. १–४ ज्ञान, विज्ञान, ब्रह्मलोक की यात्रा, सूक्ष्म शरोर, रुद्रध्यान, "अ" कार ब्रह्मरूप । ४-७ प्रत्याहार, ध्यान, प्राणायाम, धारणा, विचारना, समाधि आदि येोगाभ्यास के लक्षण । पृ. ७-९ प्राणायाम मंत्र स्वरूप, लक्षण । पृ. ९-१० प्रशांत लक्षण और धारया । पृ. १०-१५ येागाभ्यास की रीति । पृ. १५-२० पंच महाभूत, पंच प्राण, पंच उपप्राण तथा मोक्ष गति वर्णन । No. 5. Anañiga Rang& Tika (Uttarârdha) Substance — Country-made paper. Leaves--80. Siz-121" x 8". Lines per page~20. Extent – 1,250 Ślokas. Appearance— Old. Character — Nagari. Place of Deposit — Radha Chandra Vaidya, Eade Chaubē, Mathurā. पृ. Beginning.—१ प्रकरण ६ द्रावणादि औषध विषये । इशक ॥ प्रागेव पुंसः सुरतेन यावन्नारी द्रवेद्भोग फलनं तावत् ॥ जता बुधैः कामकला प्रव। खैः कार्यः प्रपन्नो वरिता द्रवन्वै १ ॥ टोका । पुरुष के रेत छूने के पूर्व जो नारा छूटे नहीं ता भोग करना वृथा हे ॥ कारण के उस भाग से आनंद नहीं हो इस कारण स पुरुषों ने काम कला में ज्ञानवान होकर स्त्री प्रथम छूटे रसा प्रयत्न करना जिससे सुग्त रसिक हावे ॥ १ ॥ ३ ॥ जात्यादि सान्यं दुर्ज्ञेयं मांकयदि विशेषतः ॥ तपवाति सौक्ष्म्याच्च कलापों दारे गोचरा ॥ २ ॥ टोका पूर्व में कहे प्रक. मे पुरुषों की वा स्त्रा को जाति ज्ञान दुर्घट ओ गुणे के संकरता से तो अत्यंत दुर्घट इस कारण बाहान सूक्ष्मता के कारण से चद्रकला भी समजने मे प्रवं ऐसे अज्ञ जनो का मो· उपयोग हाव इससे द्व वणादि प्रयोग कहते हैं |
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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