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________________ APPENDIX III. .115 तनो हरी । सारठा ॥ वंदो सो रघुवीर कृपा सेंधु संतत सुषद ॥ प्रणपाल रणधीर दुषहरण दारिद दमन ॥१॥ में मतिमन्द मलोन कूर कपट कलिमल भरो ॥ जानेव अतिसे दोन गुर कपाल पावन किया ॥२॥ महा प्रलय के माह सकल समाने येक मह ॥ तहं विष्णु पद पाय रहो तही सेा थीर होय ॥ दोहा ॥ बहुत काल जैसे गये सिरिट समै जब प्राव । तब विषुणु पद सेा बहुरि मुधि सभारन भाव ॥ ____End.-दोहा ॥ सा अव्यय अविकार सदा इन्क्षा रहित प्रकास ॥ विद्या जुत यह आत्मा मन करि भव दुष त्रास ॥१॥ सब ते न्यारो पापु कह जानै चतुर प्रवीन ॥ संग किये सुष दुष लहै ॥ संग करै मति होन ॥ २॥ यहि तें मन बानी सुजन प्राण आदि जे अंग ॥ निग्रह करै विचारि दृढ़ सहजहिं तव भव भंग॥३॥ भक्ति जुक जे बुद्धिवर ताकर करै विचार ॥ मन बस भय बसा जाहि कर मा कृत कृत्त उदार ॥४॥ जल पर्वत लषु मुकर मर भार भोजवा नांहि ॥ तिमि चेतन मह ल सभ सरना के माहि ॥ ५॥ तप्त तेल मह लषै मुष जौ तही सा नाहिं ॥ तिमि आतम निरलेप है भास सकल के माहि ॥ इति श्री पिण्ड भेद निरूपनो नाम अगाध बोधोनाम ग्रंथ संपूर्ण ॥ संमन् ॥ १८९१ कातिक माले शुक्ल पक्षे तिथि यकादसी वार रविवार कथा संपूने तृतीय विश्राम ॥ Subject.-अध्यात्म ब्रह्मसृष्टि के विचारादि का ज्ञानोपदेश । No. 4. Amțita Nāda Vindūpanishada. SubstanceCountry-made paper. Leaves—20. Size - 7" x 3". Lines per page-6. Extent-165 Slokas. Appearance-Very old. Character- Nagari. Place of Deposit-Presented at the AllIndia Hindi Sahitya Sammelana Exhibition, Indaur (Central India). Beginning.-ॐ श्री गणेशाय नमः । ॐ नमो बनणे ॥ ॐ अथ अमृानाद विन्दूपनिषद लिख्यते ॥ ॐ ग्रंथ मध्येति मेधावो ज्ञान विज्ञान तत्परः॥ यल्लानमिव धान्यार्थी त्यजेन्छासु विशेषतः॥ टोका ॥ विचार बुद्धि वाला पुरुष | शास्त्र पढ़ के ज्ञान विज्ञान पर लग रहना ॥ ज्ञान कहिई ॥ निर्गुण ब्रह्म जाण ना ॥ कैसा हो जानना ॥ जहां बात नहीं ॥ मन नहों टस इंद्रिय नहीं ॥ रंग रूप नहों ॥ जहां सब कछू ग न जाता है ॥ तहां निर्गण ब्रह्म है ॥ तैमा हो निगं ग्ण ब्रह्म जाणना ज्ञान है ॥ विज्ञान कहि ॥ जा सगुण भगवान है ॥ तेस्का ध्यान करणा ॥ पूजा पाठ का गणा ॥ शास्त्र पढ़ना ॥ शास्त्र विच रना ॥ तीर्थ यात्रा करणा ॥ माही विज्ञान है ॥ अरु विज्ञान में ॥ ज्ञान प्राप्त होता है । पर ज्ञानो पुरुष ज्ञान पाई के विज्ञान छोड़ दता है ॥ विज्ञान जो है सा छाह है ॥ ज्ञान जा है ॥ सा मखन
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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