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APPENDIX II.
रितु वैभव सेभित सदा नारी रत्न सुषांन ५ रंगमहल पर्यंक पर राजत सियपिय लाल सुरत केलि श्रम श्रमित अंग लालित रसिका वाल ६ प्रत्नसे सुषुमाल से बिलसे सुरत विलास जल तरंग मिलसे गले लषि अत्नि हीय हुलास ७ प्रात समय पर्यंक पर सेावत सियनृपलाल श्री दंपति मुख कंज के नयन भ्रंग करि वाल ८ पट भूषन व्यवधान की सहत न सिय पिय अंग तातै अंगन अंग मिल तजत नहीं क्षण संग ९ सुरतरंग बिलस निसा ग्रनसे अंग सुहात प्रभुत रूप सुमाधुरी अंगन अंग समात १० श्रीमीतामुखचंद्रमा राम सुनयन चकार सुधा माधुरी पान करि तृपिति न नवलकिशोर ११ संपा चंपा स्वर्ण चय लषि सिय अंग लषात प्रिय अंकन राजत प्रिया अंगन रूप न मात १२ प्रियकर मुषके परसतें भरे नीर सिय नैन पुलक रोम के ब्याज ते आनंद उमंग सुमैन १३
End. - निरषि सुसिय पिय रूप माधूरी भूली नागरि तनु मु सम्हार कोउ नयनन दंपति की पीवत भेंटत सु भुजा मुललित पसार कोउ लपि मुष मु माधुरो मोहित पान करत अधरामृत सार कोउ लषि कत्न कपाल सुंदरता चुंबन करत सुरसिक उदार काउ मुष कर सुचरन चुंबत तिय आनं: मगन पुलक तनुमार घरि उरोज हिय हिय चरन सुदंपति निर्षत मुख माधुर्य अपार स्वस्ति हाय नृप लाल लाड़ी पढ़त सुरक्षा मुरसिक उदार युगल अन्नो मुष पंकज संवत जनकला ड़िजी नृपतिकुमार ५०५ इति श्रो भावनामृत कादंबिनी युगल मंजी कृत समाप्त शुभं भृयात् मासात्तमे मास आषाढ़ मासे शुभे शुक्ल पक्ष तिथौ नवमी ९ शनि वासरे सम्बत १९०९ शाके १७७३ यथाप्रति लि (खि) तं शुभमस्तु ॥ रामेति राम रामेति रमे रामे मनेारमे सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने ॥ १ ॥
Subject. - श्री सीताराम को आठ पहर की विविध लीलाओं का वर्णन । No. 206. Vinaya Vatika by Yugala Prasāda Kayastha. Substance-Country-made paper. Leaves-46. Size-8" X 52". Lines Extent-75 Ślōkas. Appearance-Old. Character—Nāgari. Date of Manuscript—Samvat 1886 or A. D. 1829. Place of Deposit — Lala Nanaka Chanda.
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Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ राग कल्यांण ॥ श्री वल्लभ कुल चरण नमामी || अधम उधारन कुमति सुधारन तारन जग सरनामी ॥ हरन महा भव भी कृपानिधि प्रनतपाल अभिरामी || वरन विचार करत नहि कबहूं द्रवत देखि अनुगामी ॥ सेवत जिनहि अगम कछु नाहीं सुगम सुलभ सुख धांमी ॥ भव वारिध वाहित करुनामै अभय करन का हांमी || महिमा उदधि पार को पावै ara किमि बुध खामी ॥ करिय कृपाजन जांनि महाप्रभु हरिय पतित दुष लामो ॥१॥