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APPENDIX II.
ग्रंथ का निर्माण काल निम्नलिखित दोहे के अनुसार सं० १८६६ वि० है यथा-रस रस बसु रजनी शमित सम्बत सुर गुरुवार भादो कृष्ण त्रयोदशी भयो ग्रंथ अवतार । कवि ने अपनी तथा राजा सरनाम सिंह को वंशावली जिनके नाम पर इस ग्रंथ. की रचना की है, निम्न भांति दी हैकवि वंशावलो
नृप वंशावली नरहरि शेर साह भूपति | तेग साह
हरिनाथ
इन्द्रजोत
घनश्याम
प्रह्लाद
श्री गोविन्द
सग्नाम
भिमान
तारानाथ
रामबक्ल
पूरण
मानन्दराम दत्त
विष्णुदत्त No. 204. Vyāsa ki Bani Sanēla Līlā by Vyäsa and Mohana Dasa. Substance-Country-made paper. Leaves267. Size--11" x 6". Lines per page—16. Extent-About 4,300 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1894 or A. D. 1837. Place of Deposit-Sri Matangadhwaja Prasada Simha, Viswan, Aligarha. ___Beginning.-श्रीकृष्णाय नमः ॥ श्रीगोपोजनवल्लभाय नमः ॥ अथ श्रीव्यास जी के पद लिष्यते ॥ अथ मंगल राग बिलावल ॥ जै जै श्री गुरु व्यास सहचरी वपु घरसी ॥ नित्य विहार महार सार न्यारो को ॥ कयों न्यारो सार सजनी दोष दुष कली के घटे ॥ कहत सुमरत सदा निसिदिन कर्मबंधन सब कटे ॥ कूर कटिल कपट कामी तिनहूं पै अनुग्रह करवों ॥ जैसे श्री गुरु व्यास सहचरी वपु