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APPENDIX II.
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नमः श्री त्रिपुर सुन्दय्ये नमः श्री मन्माधवाय नमः श्री शंकराय नमः श्री गुरवे नमः श्री हनुमते नमः श्री महालक्ष्म्यै नमः। श्री गंगादेव्यै नमः श्री भैरवाय नमः श्री श्री श्री श्री श्री ॥ . Subject..
पृ. १ वंदना-श्री गणेश और गुरु की, प्रयाग तीर्थ और तीर्थराज की महिमा।
पृ. २ परिगन कथन, ग्राम कथन, कवि वंश वर्णन ।
पृ. ३ काय लिंगालंकार, ग्रंथापक्रम, अतिशयोक्ति अलंकार और राजसभा वर्णन।
पृ. ४-१० उक्ति कवि को, हिताहित स्वरूप, गजा के प्रति अतिथि सत्कार को उक्ति, भ्रष्ट राजा के प्रति, मूर्ख द्वारा तिरस्कृत पंडित के प्रति, गुणग्राही शूद्र के प्रति, माधु के प्रति, राजा के प्रति, बन्दी के प्रति, नीच के प्रति, नायिका के प्रति तथा महात्मा आदि के प्रति । यह प्रकरण देखने ही योग्य है।
पृ. १०-१७ प्रेम प्रसंग, काय गाम्भीर्य वर्णन, निजगुण दर्पित पुरुष के प्रति कवि की उक्ति । महात्मा पद प्राप्त नीच के प्रति, मलिन नृपति मवित पंडित के प्रति, कामो के प्रति, निर्गरंग पुरुष के प्रति, दुर्जन म्वभाव वर्णन, संगति वर्णन, जाति स्वभाव वर्णन, नोच स्वभाव वर्णन, देव कर्तव्यता और मजन, दुर्जन स्वरूप आदि का वर्णन, अलंकारयुक्त दाहों में।
पृ. १८-१९ मुख वर्णन, कोमनता, प्रोषित नायक, दशा स्मरण, ललाट शोभा, हास्यरस, नायक का नायिका कुच वर्णन, कपाल, केश, और अभिलाष दशा वर्णन।
पृ. १९-२० स्वकीया खण्डिता, आगत पतिका, धृष्ट नायक, क्रिया विदग्धा, विस्रब्ध नवोढ़ा, प्रोषित पतिका, खण्डिता आदि का वर्णन ।
पृ. २१-३१ मानी नायक, व्याधिदशा तथा प्रेम प्रसंग वर्णन । सभी नायिकाओं के वर्णन तथा हास्य, करुणा, रौद्र, वीर, भयानक, वीभन्स, अद्भुत, और शान्त रस का वर्णन ।।
पृ. ३२ षोड़श शृंगार वर्षन । पृ. ३२-४१ विविध अलंकारयुक्त वसन्त वर्णन । पृ. ५४ विविध विषय भूषित शान्त रस वर्णन, तृतीय विलास । पृ. ५५ ग्रंथ समाप्ति ।
प्रथम विलास-प्रास्ताविक वर्णन, द्वितीय विलास-शृंगार वर्णन, तृतीय विलास-शान्त रस वर्णन ।