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________________ APPENDIX II. 401 को बुरा मति मानी मानी सीष हमारी वे ॥ १८ ॥ संवत सत्रह (से) तंताला तेग्म फागु उजारो वे हा हा हा हारी करि गावत लान विनोदो गारो वे ॥ १९ ॥ इति गारी संपूर्ण । Subject.- गारी के व्याज से उपदेश No. 20-2(). Nema Natha. kRekhate by Vinodi Lila. Substance-Country-inade paper. Leaves-1. Size-53" x5. Lines per page-12. Extent -15 Slokas. Appearance-old. Character-Nagari. Place of DepositPandita Rama Gopāl: Vaidyr, Jahāngirabād, Bulaudasahar. Buginning.-अथ नेमनाथ के रेषत निध्यन ॥ अजि व्याहन को पुव पाया सिर सेहग बंधाया समि पंच काडि जादा तर मंग भी महा है ॥ कहा गया नाथ मरा दिग रन किया फेरा पर बर्द्ध गार मेरा दिल काप हरहा है ॥ पमु देषि महर आई उन बंधनो छुड़ाई उसकी षबर मैं पाई गिरि नेर गढ़ गहा है ॥ मैं जाउगों उहां ही जिहां गया मेरा साई में बे अजन मरोंगो मुझका मकति कहा है ॥१॥ मेरेच समुंदा ताग मेहताब सा उजारा जिन मन हरा हमारा वहमनहरण कहा है। जिकाड़ सै बतावै बहुता सबाव पावै उसको षवर लै पावै उसका उतन कहा है। मौ छोड़ि किधर भागा मेग जान उस स लागा प्रातम वियाग दागा दिल षाक हो रहा है । पाने में क्या करो दिन रैन क्यों भरों में ये अजल मौंगो मुझ को मुकति कहा है ॥ २॥ उसे मुक्ति श्री भाई पुसदिल प्रसन आई मुझे पदर की दुहाई इस मैनिसक मुवा है परहेज मुझ सा कोन्हा मै षुव उसे चीन्हा मुस्ताक कै रहा है ॥ मुस्ताक हैं। दरस की उसकी कदम परम को तू ले मेरे तरस की बेदरद भो महा है में बे मजल मरोंगो मुझको मुकति कहा है ॥ ३ ॥ ___End.-राजल षड़ी पुकारे जुग दस्त सिम मारै मषना थका निहारै क्या गुम ह रहा है। भव आठ की मैं चेरी में पाउं पाक तेरी तुल पबर मेरो कब का गुसा गहा है। लाल मन विनादी गावै आजहुं न महर पावै बेदरद भी महा है मैं बे प्रजल मरौंगी मुझ को मुकति कहा है ॥ ४ ॥ इति रेषत संपृणं ॥ Subject.-नेम कुंवर के चले जाने के बाद उसके वियोग से गजल का शोक प्रकाश। ___No. 202(c). Nema Natha Rajala Vivaha by Vinodi Lala. Substance-Country-made paper. Leaves-7. Size-53"
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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