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________________ 396 APPENDIX II. • पचासी सार संवत् अट्ठारह सतहिं त्रेपन थिर सनिवार १०७८ इति उन्द पच्चीसी संपूर्णः संवत् १८६३ शाके १७२७ मिति फाल्गुण बदि १२ गुरुवार इदं पुस्तकं समाप्तं दसकत भट्ट स्यामसुंदर का रणजीत तत्सुत बलदेव पठनार्थं ॥ यादृशं पुस्तकं दृष्ट्रा तादृशं लिषितं मया यदि शुद्धमशुद्धम वा मम देोषा न दीयते ॥ Subject.—राधाकृष्ण चरित्र, गोपिकाओं का प्रेम और सती स्त्रियों का प्रेम वर्णन । No. 199. Ganga Laharí by Újiyārē Lāla. Substance— Country-made paper. Leaves-11. Size-6" x 4". Lines Extent-165 Ślōkas. per page - 13. Appearance-Old. Character—Nagari. Place of Deposit-Ramana Lāla Hari Chanda Chaudhari, Kosi, Mathura. • Beginning. — श्रीगणेशाय नमः ॥ अथ गंगा लहरी लिष्यत ॥ कवित्त ॥ बाउन के पाउनष अंगूठा कहाती भई धाई तू ब्रह्मांड फौरि ब्रह्म रजधानी है ॥ पावन करत तहां तहां चंद सूर लोक भूर भुवलाक महलोक महरानी है ॥ उजियारे परसी भगीथ के भूमि लोक सरसी दै आई हरसीस पद पानी है ॥ पापनि उधारि भृरि भूधरि बिदारि गंगा पारावार फारि पारब्रह्म में समानी है ॥ १ ॥ कवित्त ॥ कैध पा मुरारि की प्रताप चिनगी है याते दाहनि दनुज कुन कलुप डी है ॥ कैध रिषिराजन की जनम घुटी है चारू कैधै राजहंसवंस विमल बधूटी है || उजियारे धारे सोस अमरप मारे याही ते बग्द वारे ब्रह्म रस छूटी है ॥ जीभ बकरति जग जीवन को गंगा तेरे ज वन को बुंद के सजीवन की बूटी है || २ || अधम अजापी जे सुगपी हे वथा अलापी आठो जाम जि-हैं काम और न उसरतो || भनेँ उजियारे और निहारे बटपारे भारे चापट चटारे ते भडारे भाग भरता ॥ कायर कुकर्मी क्रूर कपन कठार कामो कुलंकिन का काला अंक भरतौ ॥ एगे गंगा पती भुव पापिन को धार तेरी धार जो न होती तो उधार कौन करता ॥ ३ ॥ End. - कवित्त ॥ तेरों सेां सरूप राजतनया को देव देव तू हें देव देव देवी देवि पाठ मंगा है || भने उजियारे जा अखंड पन पारे तो सो जानें न षंड कंाऊ और उतंगा हें | अलष तरंग याहें ग्रनष तरंगा तू ई या हें जग मातनात कही तू प्रसंगा है | तेरो माथ कैधों या सनाथ भये भोलानाथ कैधों या सनाथ भई तेरे माथ गंगा हें ॥ ४९ ॥ कवित्त || पहा देवि गंगा तेरों पूरा परसंगा तासां तीन्यों लाक संग वेद भेदनि करति हें ॥ उजियारे ईस की जटानि मही तटानि छबि की छटानि पाप तापन हरति हें ॥ नसी नीर पियें नाम लिये पती बुझ किये कोन बूझ सकेँ तू अबूझ वितरति हें ॥ दान किरवान की दिलेली प कहां ते प्रानि दोलति कुंवर
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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