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APPENDIX II.
Character-Nagari. Date of Manuscript-Samvat 1823 or A. D. 1766. Place of Deposit-Bhārati Bhavana, Allāhābād.
Boginning:-श्रीगणेशायनमः ॥ नोलांबुयस्यामल कोमनांगं ॥ सीता समारोपित वाम भागं ॥ पाणै महा सायक चारु चापं ॥ नमामि रामं रघुवंश नाथम् ॥१॥राग असावरी ॥ आजु सुदिन शुभ घरो सेई ॥ रूपसोल गुणधाम राम नृप भवन प्रगट भये आई ॥ अति पुनीत मधु मास लगन ग्रह वार योग समृदाई हरषवंत चर अचर भूमि तरु तनरुह पुलकत नाई ॥ बरषहि विवुध निकर कुसुमावलि नभ दुदभो बजाई ॥ कौसल्यादि मातु मन हरषित यह सुष बरनि न जाई ॥ मुनि दशरथ मुत जनम लियो सव गुरुजन विप्र बोलाई ॥ वेद विहित करि कृपा परम सुचि आनंद उर न समाई ॥ सदन वेद धुनि करत मधुर पुनि बहु विधि बात बधाई ॥ पुरवासिन्ह निज नाथ हेतु निज संपदा लुटाई ॥ मनि तारन बहु केतु पताकान पूरी रुचिर करि छाई ॥ मागध सूत द्वार वंदोजन जहं तहं करत वड़ाई ॥ सहज सिगार किये वनिता चली मंगल विपुल वनाई ॥ गावंहि देहिं असीस मुदित चिरजीरो तनय सुखदाई । वीथिन कुंकुम कोज अर. गजा अगर अवोर उड़ाई ॥ नाचहि पुर नर नारि प्रेम भर देह दसा विसराई ॥ अमित धेनु गज तुरग वसन मनि जात रूप अधिकाई ॥ देव भूप अनरूप जाहि जोइ सकन सिद्धि गृह आई ॥ सुषो भये सुरसंत भूमि सुरष लषण मन मलिनाई ॥ सबइ मुमन विकसत रवि निकमत कुमुद विपिनि विनषाई ॥ जो मुग्व सिन्धु संकत सी करते सिव विरंचि प्रभुताई ॥ माइ सुख अवध उमगि रह्यो दस दिमि कौन जतन कहीं गाई ॥ ज रघुवीर चरन चिंतक तेन्ह की गति प्रगट देषाई ॥ अविरत्न अमल अनूप भगांत दृढ़ तुलसीदास तव पाई ॥१॥
End.-॥ राग रामकली ॥ रघुनाथ तुमारे चरित मनोहर गावहिं सकन्न पवध वासो॥ अति उदार अवतार मनुज वपु धरें ब्रह्म अविनासो ॥ प्रथम ताड़का हति सुबाहु वध मष राध्यो द्विज हितकारी ॥ दषि दुषित प्रति सिला स्रापबस रघुपति विप्रनारि तारो ॥ सब निपनि को गरब हन्यो हरिभज्यो संभु चापु भारी॥ जनकसुता समेत पावत गृह परसगम अति मदहारी ॥ तात वचन ताज राज काज सुर चित्रकूट मुनि वेष धया ॥ एक नयन कोन्हा सुरपति सुत बधि विराध रिषि सा कह्यो ॥ पंचवटो पावन राघव करि सूपनषा कुरूप कोन्ही ॥ पर दुषन संघारि कपट निंग गोधराज कंह गति दोन्हो हति कबंध सुग्रीव सषा करि भेदे ताल बालि मारयो । बानर रिक्ष सहाय अनुज संग सिन्धु बाधि जस विस्तायो ॥ सकुन पुत्र दल सहित दसानन मारि अखिल सुर दुष टारो ॥ परम साधु जिय जानि विभोषन लंकापुरो तिलक सायो ॥ सोता अरु लछिमन संग लीन्हें गौरी जिते दास पाप ॥ नगर निकट विमान पायो सब नर नारी देषन