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अनुदिन पाइ ॥ श्री सीतापतये नमः ॥ श्री राम जय राम जय जय राम ॥ श्री राम जय राम जय जय राम ॥ इति श्री तुलसीदास विरचिते स्वयंवर ||
Subject - सीय स्वयंवर की कथा पद्यों में ।
APPENDIX II.
No. 196 (d). Rama Charitra Mánasa by Tulasi Dāsa Goswāmi. Substance-Country-made paper. Leaves-453. Size-12” × 6”. Lines per page — 11. Extent - 9,990 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Manuscript -Samvat 1909 to 1920 or A. D. 1852 to 1863. Place of Deposit-Thakur Girja Bakhsa, Zamindar, Karachhanā (Allahābād).
Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ श्री जानकीवल्लभो विजयते ॥ वर्णा नामर्थसंघानां रसानां छंदसामपि ॥ मंगलानां कर्त्तारौ वंद वाणी विनायका ॥ १ ॥ भवानीशंकरौ वंदे श्रद्धाविश्वासरूपा ॥ याभ्यां बिना न पश्यंति सिद्धा स्वांतस्यमीश्वरं ॥ वंद बाधमयं नित्यं गुरुं शंकररूपिणं ॥ यमाश्रिताहि वकोपि चंद्रः सर्वत्र बंधत ॥ ३ ॥ सीताराम गुग्राम पुण्यारण्यविहारिणौ ॥ वंदे विशुद्ध विज्ञान कवीश्वर कपीश्वरी उद्भवस्थिति संहारकारिणीं क्लेशहारिणीं ॥ सर्व श्रेयस्करी सीतां नतोहं रामवल्लभां ॥ ५ ॥ यन्माया वशवर्त्ति विश्वमखिलं ब्रह्मादि देवासुरा ॥ यत्सत्वाद मृषैव भाति सकलं रज्जैौ यथाहेर्भ्रमः ॥ यत्पाद प्लवमेकमेवहिमवांभाधेस्तितीर्षावतां | वंदेहं तमशेषकारण परं ॥ रामाख्यमीशं हरिं ॥ नाना पुराण निगमागमसम्मतं यद्वामायणे निगदितं क्वचिदन्य तापि स्वांतः सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा ॥ भाषानिबद्ध मंजुल मातनेोति ॥ ७ ॥ सारठ ॥ जो सुमिरत सिधि होई गननायक करिवर बदन | करा अनुग्रह सेोई बुद्धिरासि सुभगुनसदन | मूक होई बाचाल पंगु चढ़े गिरिवर गहन ॥ जासु कृपा से दयाल द्रवैा सकल कलिमलदहन || नील सरोरुह स्याम ॥ तरुन अरुन बारिजनयन ॥ करहु सेा मम उर धाम ॥ सदा छोर सागरसयन ॥ ३ ॥ कुन्द ईन्दु सम देह उमारवन करुनायतन ॥ जाहि दीन पर नेह ॥ करहु कृपा मरदन मयन ॥ ४ ॥
बालकांड का अंत - श्री रामचरित्रमानसे सकल कलिकलुष विध्वंसने विमल संतोषसंपादिनी नांम प्रथम सोपान १ संवत १९१६ चैत्र कृश्नाष्टमो सनि-वासरे जा प्रति देषा सेा लीषा अलोपी दोन मिश्र गाउदेश्वरी ।
ध्या कांड मध्य- सेारठा । सदा बचन मन काय मातु भरत के बचन सुनि सांचे सरल सुभाय कहति राम प्रिय तात तुम्ह । राम प्रानहुते प्रान तुम्हारे