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APPENDIX II.
No. 194. Rasa Chandrikā by Tādara Mala Bhaṭṭa Kavi of Kampila. Leaves-60. Size-10" x 8". ExtentAbout 600 Ślokas. Character - Nagari. Place of Deposit - Pandita Durga Datta Avasthi, Kampila, District Farrukhābād.
Beginning.—श्रीगणेशायनमः सुमिरि चरण करि ध्यान तिन प्रसाद लहि कीजियतु भाषा सरस बषान है सकल सुखदायक सिद्धि के विधायक असंक अमरन है
कर साधन के वंदन करत मुनि करन का कीरति निवास सुख असरन के सरन एक देव के चरन है ॥
जगदंब के गणपति को कवित्त गण गणनायक गिरिजा के नंदन अनंद ध्यान के धरत है पूरन प्रकाश कवि मल्ल ग्रास संपति करत है दारिद हरत मत मोद विहरन
End. - माया वत्सल लक्षण यथा खेल मोहन प्रांगन में लखि श्री वलदेव कर मन भाये काहू सौ तीतरे बैन कहै हमि काहू के अंग लगै उठि धाये हास करै लखि मातन को श्रम गात न धूरि धरे सकुचाये साय सुदामनु माया सा चूमि के चूमि के पाछति अंग सुहाये ।
Subject . - नायिका भेद ।
No. 195. Basanta Raja śakuna śāstra Bhāsha by Trivik-rama_Däsa. Substance-Country-made paper. Leaves101. Size — 83" x 5". Lines per page - 18. Extont — 2,045 Slokas. Appearance—Old. Character —Nāgari. Place of Deposit-Pandita Chandra Sēna Pujārī, Khurjā.
Beginning.—श्रीगणेशाय नमः ॥ सिंह रामं त्रिनेत्रं पृथुतर जठरं हस्त' पद्मैर्दधानं दक्षेयाशांकुसेष्टान्पुर विलसद्वीज पराभिराम बालेंदु धैति मौलिं कर पति वदनं दान पुराइ गंड भोगों द्वावद्धभूषं भजत गणपतिं रक्तवस्त्राग रागं ॥ १ ॥ श्री मद्दसंतराजस्य शाकुनानां शिरोमणे || श्री त्रिविक्रमदासेन भाषायार्थ प्रकाशते ॥ २ ॥ त्रत्रादी ग्रंथकारस्य मंगलाचरण पठ्य ॥ विरंचि नारायण शंकरेभ्य सचीपति स्कंद विनायकेभ्यः ॥ लक्ष्मी भवानीपति देवताभ्यो नवग्रहेभ्यश्च नमः प्रयाये ॥ ३ ॥ कोई भी कहते हैं जे लक्ष्मी भवानी जयति ॥ देवता पतिवृ । ताहै तिनकू नमस्कार ॥ ब्रह्मा भवानीपति यहां नारायण शंकर इकारांत कैर्ये गणेश लक्ष्मीपति और समस्त देवता और नवग्रहः ॥ इननु का पयान वि नमस्कार कर्त्तव्य ॥ भट्ट श्री शिवराज ताको पुत्र विजय राज ताको लघु भ्राता बसंतगज ताकू चंगा
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