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________________ 380 APPENDIX II. यों द्वारिका राजत हरी ॥१॥ असे नित लीला श्रुति गावें अरु ब्रह्मादिक पार न पावै सदा सनातन रूप बिराजै लीला करत भक्त हित काजै लीला करत भक्त हित काजै परम अद्भुत साज से। प्रभु नित श्री दाबन बिराजे जुगल रूप समाज सौ ए चरित सेस दिनेस श्री गंगेस हिय अभिराम है सूरति सुकवि श्री भागवत को ध्यान यह मुषधांम है ॥ ११ ॥ श्री कृष्णाय नमः इति श्री भक्तिविनोद रामकृष्णचरित्र सूरत कवि कृत संपूर्ण ॥ शुभमस्तु ॥ श्री ॥ Subject.-राम और कृष्ण के विविध चरित्र ॥ No. 190. Malūka Parichayi by Sutharā Dāsa Kāyastha of Allahabad. Substance-Country-made paper. Leavos44. Size-8" x 4". Lines por page-20. Extent-1,000 Slokas. Appearance-Old. Character-Kaithi (Nagari). Place of Deposit-Baba Mahadeva Dasa, Kadi, Post Office, Allāhābād. Beginning.-श्री गणेशाय नमः । श्री पाथी परिचयी बाबा मलूकदास की । श्री गुरु प्रकास अनुभव कथा जैसा भा परगास । प्रभिलाषा अति ही बड़ी भाषा गावै मुथरादास १। श्री परचई मलूक को कहिहों मति उनमान । जैसा का तैसा निग्वा सत्य शब्द जिय जान ॥२॥ नमो नमस्ते गुरुचरण नमा पुरुष करतार । जुग जुग धारयो जोव हित संतरूप अवतार ॥३॥ चौपाई श्री गुरु चरनन को मिर नाऊं हर्षवंत होइ मंगल गाऊं । मादि पुरुष यह कोन विचारा महा दुःखो यह जीव संसाग। जुग जुग संत धरयो जहां दहा ताते जाव लह्यो पद नेहा । नामदेव कबोर रैदामा उनते जीव लह्यो विश्वासा। यहि विधि साधु अनेकन ह गये । बहुत जोव मुक्त मोह गये । अब एक अंसा जाय संसारा। पावे जीव मोक्ष का द्वारा । मार्ग सत्य लोक का रहा तब करतार बिचारि यह कहा । हंस रूप अंसा एक जाई सा जीवन उद्धार कराई । एक संत पुरुष को आज्ञा दीना । तब तिनि जगत पयाना कोना । कड़े मांहि सुंदर के गेहा प्रगटेव भगत पान धरि दहा ॥ दोहा वैशाख सुदी तिथि पंचमी संबत सारह सौ एकतीस । जगत पुरुष परगट भये मलूक पुरुष जगदीस। ___End.–पहर अढ़ाई में हाय आये उहां चरित्र बहुत देखलाये । सारह सै एकतीस में प्रगट भये संसार सत्रह से उनतालीस में कूच किया निरधार । मार्ग अलख बे अंत है शेष न सके संभार । श्री मलूक को परचवा मन बुध पर विचार । देखी सुनी अनुभव कही अपनी मत उनमान महिमा अगम अपार इति जाने श्री भगवान । इति श्री मलूक परचई भाषा सुथरादास कृत संपूरन शुभम् भूयात् । लेखक पाठकयाः मंगलं भवतु ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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