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APPENDIX II.
भोजन कहा कि उदक सरजू नहि लीन्हो नाम श्री राम दृग संत सेइ कारज किया भाविक सूर किशोर द्वितीये विस्व नाहिवियो ८ इति श्री सूर किशोर कृत संपूर्ण ॥
Subject.-मिथिला की प्रशंसा ।
No. 189(a). Jūrāwara Prakāśa by Sūrati Misra. Subs. tance-Country-made paper. Leaves-144. Size-101" x 6". Lines per page-18. Extent--2,268 Slokas. Appearance--Old. Character--Nagari. Date of Composition--Samvat 1800 or A. D. 1743. Date of Manuscript-- Samvat 1918 or A. D. 1861. Place of Deposit--Ramana Lala Hari Chanda Chaudhari, Bazar Kosi (Mathura).
Beginning.-श्रीगणाधि गणपतये नमः अथ रसिकप्रिया टीका जोरावर प्रकाश सूरति कवि कति लिख्यते ॥ कवित्त॥ पूजि मन वाको ग्रादि माने जग जाको नर च्या नेक ताको सुख लहै मिदि गति को ॥ परम दयाल बड़े पूरन कपाल करें क्षण में निहाल दै कै पानंद सुमति कों॥ चरन सरन जाको भरन मनोरथनि सूरति भवन तोन्यों यहै मत्तो मत्ति को ॥ हेत के सुखासन को बुद्धि के प्रकासन को विघन विनाशन के नाम गणपति कां ॥१॥दोहा॥बीकानेरि प्रसिव्य है अति पुनीत शुभ धाम लक्ष्मी नारायण तहां इष्ट परम अमिराम ॥२॥ मेव सेव गज बदन को जहां रत्त चित लाय ॥ देचिनाग नेची जहां अनुदिन रहत सहाय ॥ दुख हरनी सुख हि करनी बात प्रसिद ॥ सब गुण की चरचा जहां सदा धर्म को वृद्धि ॥ श्री जोरावर सिंह जू राज करत जिह ठौर ॥ सव विद्या में अति निपुन तिन समान नहिं और ॥ वैदिक जोतिष न्याय अरु कविता रस में लीन ॥ तिन कवि सूरति मिश्र से क्रपा नेह अति कीन ॥६॥ निर्माण काल ॥ सम्वत शत अष्टादर्श फागुण सुदि बुधवार ॥ जोरावर प्रकास को तिथि सप्तमी अवतार ॥ २१ ॥ ___End.-दोहा केसव करुना हास रस अरु बीभत्स सिगार वरनत वीर भयानकहिं संतत रुप विचार ॥ १२॥ भय उपजै बीभत्स तै अरु सिंगार ते हास केमव अद्भुत वीर ते कारुणा काय प्रकास ॥१३॥ टीका॥ बीभत्स ते भय अरु सिंगार त हास्य अरु वीर ते अद्भुत रौद्र ते करुणा उपजत है ॥ दोहा ॥ इहि विधि केसवदास रस अनरस कहे विचारि वर्नत भृलपरी कहू कविजन लेहु सुधारि ॥१४॥ जैसे रसिक प्रिया विना देखिय दिन दिन दोन त्योंही भाषा कवि सबै रसिक प्रिया करि होन ॥ १५॥ टीका ॥ या रसिक प्रिया के पढ़े रति मति अति बढ़ पर सब रस कहा नवरस तिनको रोति जानै अरु स्वारथ कहा चातुर्यता लहै