________________
376
APPENDIX II.
पृ० १० श्रीराम लक्ष्मण का मुनि के संग यज्ञ को रक्षा के लिये जाना। पृ० १२-१३ गंगोत्पत्ति आदि कथायों का वर्णन । पृ० १६ श्रीराम लक्ष्मण का ताडका आदि असुरों का संहार करना। पृ० १७ राजा जनक का निमंत्रण पाकर विश्वामित्र का राम लक्ष्मण
के संग जनकपुर को यात्रा करना। पृ० १८ फुलवारी लोला वर्णन । पृ० १९ धनुष यज्ञ वर्णन । पृ० २२ परशुराम और गम लक्ष्मण का संवाद। पृ० २०-२४ राम विवाह वर्णन । वरात का अयोध्या पहुंचना और
__ अयोध्यावासियों का स्वागत करना आदि कथाओं का वर्णन । No. 187(6). Ekādasi Māhātmya by Sūraja Dāsa. Subs. tance-Country-made paper. Leaves-:32. Size-12" x b". Lines per page--7. Appearance-Old. CharacterNagari. Date of Manuscript-Samvat 1023 or A. D. 1866. Place of Deposit- Pandita Jagannatha, Village Mahori, Tahasil Karachhanā, District Allāhābād. ___Beginning.-श्री गणेशाय नमः ॥ अथ पाथी एकादसी महतम लिषते ॥ चौपाइ ॥ धंदा गुर गनपति कर जागे ॥ बदा सुर तैतीस करोरी बंदा सारद चरन मुरारी ॥ बंदै। अमर देव त्रिपुरारी ॥ बंदा मातु पिता गुरदाया ॥ प्रकर भेद दहु रघुराया ॥ गावो कथा सुनहु मन लाई ॥ कहत मुनत पातष मिटि जाई ॥ करी कथा बंदा हरि पाऊ ॥ सूर्जदास चरनन चित लाऊ ॥ सत जुग सत आगे चलि गेऊ ॥ तेहि पाछे पुनि त्रेता भएऊ ॥ सत जुग मह हरिचंद नरेसा ॥ नव षंड पृथिभी कन्ह प्रवेसा ॥ तेहि कर पुत्र भए रोहितासा ॥ प्रगटे पुन्य पाप सब नासा ॥ तामु पुत्र रुपमंगत राजा ॥ पुन्य प्रगटहु सदारिहभाजा ॥
___End.-सा फल एकादसी मह सूर्जदास कवि गाइ ॥ जन्म जन्म कर पातष कथा सुनत मिटि जाइ ॥ इति श्री एकादसी महातम कथा कृत सूर्जदास कवि भाषा लिषा संपूरन जो प्रति देषा सा लिषा मम दाष न दीयते ॥ लिषा मिती वैसाष बदी १२ गुरवार श्री सम्बत १०२३ सन १२७३ ॥ फसिनी ॥ सीता राम चन्द्राय नमः ॥ हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥ राम सहाय ॥
___Subject.-प्रथम वंदना तत्पश्चात् राजा हरिश्चंद्र सत्यवादी और उनके पुत्र रोहितास की प्रशंसा तथा कथा वार्ता प्रादि का वर्णन ।