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APPENDIX II.
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___Beginning.-राम जो शरण ॥ श्री गणेशजी सहाय नम्ह । श्री गनपतो जो सहाय नम्ह । श्री सरसती जी सहाय नम्ह । श्री दुर्गा जो सहाय नम्ह । श्री पांचा पांडो जी सहाय नम्ह । श्री कलिमंत जी सहाय नम्ह । श्री देवी मंत जी सहाय नम्ह । श्री केवलेश्वरी मंत जी सहाय नम्ह । श्री x x x x x श्री राम जी सहाय नम्ह । २३ । श्रीराम जन्म कथा लिख्यते । सुमिरन । श्री गुरुचरण सरोजरज निज मनमुकर सुधार । वरनों रघुवर बिमल यश जो दायक फलचार ॥ कंठ में बसहि सरस्वती हिरदया बसहु महेश ॥ भृत्लल मच्छर प्रगासहु गौरी के पुत्र गणेश ॥ चापाई ॥ बग्नों गणपति विघन विनाशा। राम नाम तोह पुरवहु आशा । बरनों सरसति अमृत बानी ॥ राम रूप ताह भलि गति जानी । वरनों चांद सुरज की जाती। राम रूप जासु निर्मल मोती । बरनों मातु पिता गुरु पाऊ। जिन माहि निर्मल ज्ञान सिखाऊ ॥दोहा॥ सूरजदास कवि बरनों प्राननाथ जीपा मोर। रामकथा कछु भाखां। कहत न लागे भार । चौपाई ॥ वालमीकि रवायन तव भाखा। तीन भुवन जस भरि पुर राखा। राम के जनम सुने मन लाई । बाढ़े धरम पाप छै जाई । हिरदय मांह तिरबेनी कोन्हा । काटि गाय विप्रन कहं दीन्हा॥ काटि विप्र जेनेवाति जवावो ॥ काटि पास मध्य यज्ञ करावा ।। कोटि भार कंचन पहिरावो । सो फल राम के जनम सुनावो ॥ दोहा । कोटि तीरथ जो कीन्हा । जनु गहने दोनेहु दान । सूरजदास कवि बिनवा । सूनत राम पुरान ।
___End.-दाहा ॥ सभे लोग नौ गजा घर घर वाजा (बाजा) कतहुं ना कंदर (कंदन) सुनिये, श्री x x x x x इति श्रीराम जनम कह x x x पूरन भेल पादर समेत x x x देखा से लिखा मम दोष न दीयते । पंडित जन सा विनय । मोर छूटल प्रच्छर मंत्रा पाढावे सब जोरा ॥
Subject.-श्रीराम चरित्र वर्णन । पृ० १ मंगलाचरण, गणपति, सरस्वती, चंद्र सूर्य तथा माता पिता
और गुरु की वंदना । पृ० २ ग्रंथारम्भ और ग्रंथमाहात्म्य। पृ० २-७ राजा दशरथ का पुत्रयेष्टि यज्ञ करना तथा भ्रातायों सहित
रामजी का जन्म वर्णन । पृ० ७-८ राजा दशरथ के हाथ श्रवण का मारा जाना । पृ० ९ विश्वामित्र का पाना और राजा दशरथ से राम लक्ष्मण को
यज्ञ की रक्षा के लिये मांगना ।