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APPENDIX II. Size-8" x 81". Lines per page-22. Extent-800 Slokas. Appearance-Old. Character---Nagari. Place of Deposit-Bhatta Sri Maganaji Upadhyaya, Mathura.
Beginning.-श्रीगणेशायनमः ॥ दोहा ॥ गनपति गौरी गिगेस के पाइ नांइ निज सीस ॥ मिश्र सुकवि महराज को देतु बनाइ असीस ॥१॥ छप्पै ॥ रजत पंभ पर मनहुं कनक जंजीर बिराजति ॥ विसद सरद घनमध्य मनहुँ छन दुति छबि छाजति ।। मानहुं कुमुद कदंब मिलित चंपक प्रसून तति । मनहुँ मध्य घन सार लसति कुंकुम लकीर अति ॥ हिमगिरि पर मानहुं रवि किरनि इमि धन धीर अरधंग मह ॥ सुषदेव सदा सिव मुदित मन हिंमतिसिंह नीरंद कह ॥२॥ दाहा ॥ रतन जटित भू भाल को मना विभूषन वेस ॥ जाहिर जंबूदीप में सिरें अंबेटी दस ॥३॥ दोहा ॥ सपनेहं सुनियतु जहां काहू को डरु नाहिं ॥ सदा पक परलोकहि सिगरे लोग डराहिं ॥ ४॥ रात्यो दिन सुनियतु जहां दुसमन हो को नांस ।। सात्विक भावहि में जहां अंमुवा दीह उमास ॥५॥
End.-उक्ता अत्युक्ता वहुरि मध्या कहिए जांनि ॥ कही पतिष्ठा बहुरि सुपतिष्ठा मन में पानि ॥ गायत्री उष्णिक वहुरि कहत अनुष्टुप जांनि ॥ बृहती पंगति कहि बहरि त्रिष्टुप जिय में प्रांनि । जगती अति जगती कही बहुरि सक्करि जांनि ॥ अति सकरी गनाइ पुनि अष्टति अष्टि वषांनि ॥ धृति अति धृति प्रकृति पुनि प्राकृति विकृति वषांनि । बहुरि संस्कृति जांनि पुनि अति कृति उतकृति मानि ॥ एक धरन प्रस्तार तें छविस लां ए नाम ॥ क्रमतें कहतु फनिंदु सुनि हातु श्रवन विस्राम ॥ इति श्री मन्महाराजाधिराज हिंमतसिंहं कारित मिस्र सुषदेव कृते छंदा विचारे वर्ण वृत्तानि निवृत्ता॥
Subject.-पिंगल।
No. 184. Sundara þringūra by Sundara Dāsa. Substance Country-made paper. Leaves—83. Size-7" x 5". Lines per page-16. Extent-1,494 Slokas. Appearance- Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Raina Gopala ji Vaidya, Jahangirabad, Bulandasahar.
Boginning.-(प्रारम्भ के १३ पृष्ठ नष्ट हो गए हैं चलो बाहर बाग विलोकत ही अंषिया भरि आई ॥ जानत ही जु सषी जिय का तिन कान में पानि नहि समझाई ॥ देषे विना यह लैहीं भनी रति केलि को गेहर की पकिताई ॥ जाति जहां की तहं मुंनिं सुंदर मंदिर सुनें घनी अमराई ॥ ८१॥ तोजी अनुसयांना ॥दोहा॥ पिय प्रावै संकेत ते॥तिय अटकर ते जांनि ॥ न गई हुँ पछिताय पुनि ॥ तीय अनुसयांना वषानि ।। ८२॥ सवैयो॥हरि पाये