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APPENDIX II.
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No. 179 (f). Rasa Piyūsha Nidhi by Sõna Nātha. Subgtance Bamboo paper. Leaves-91. Size--8}" x 6". Lines per paage-20. Extent-3,696 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date Composition-Samvat 1794 or A. D. 1737. Date of Manuscript-Samvat 1865 or A. D. 1808. Place of Deposit Sri Navanita Chaubi Kaviratna, Mārū Gali, Mathurā.
Beginning.--श्रीगणेशायनमः ॥ छपय ।। सिंधुर वदन अमंद चंद सिंदूर भाल धर ॥ एकदंत दुतिवंत बुद्धिनिधि अष्ट सिद्धि वर ॥ मदजन श्रवत कपाल गुंजरत चंचरीक गन ॥ चंचन श्रवन अनूप थदि थरकति माहति मन ।। सरन रमनि चग्नन जारि च x र गुन अनंत इमि ध्याइ चित ॥ ससिनाथ नंद आनंद करत जय जय श्री गणनाथ नित ॥१॥ कवित्त ॥ अमन अनंत नवनीरद बरनवंत प्रगटे अवनि पै अनादि निरधारे है॥ अमुर विदारे दुषपुंज निरवारे काटि सकल सुधारे काज गूढ़ गुनगारे हो (॥) जहां जिह ध्याये तुमही ठहाये आइ रूप उजियारे सामनाथ उर धारे है। ॥ जय श्री रघुनायक है। चारगो फलदायक दुलारे दशरथ के हमारे प्रांनप्यारे है। ॥२॥ कंचन के रंग आनन अरुन राजे उद्धत फदैया नीरसागर दुरंत कं ।। श्री की महा मंगल संदेसा पहुंचैया पार लंक विनसैया ओ रिझया सव संत के ॥ सामनाथ वरने समीर के सपूत सांचे संवक समीपी रघुवीर बलवंत कं ॥ कंत अवनी को है अनंत सुष पावै नर असे गुन गावै जो हठीले हनवंत कं ॥३॥ स्यामन सुगंध सिर कुंचित लटरी लस भूषण भुवंगम रिझेया मदुपानी कं ॥ बालकयहिकमचिलंद गुन सोमनाथ रिद्ध सिद्ध मंदिर स्वछंद वरवानी के॥ हिये परताप कै विराजे श्री बटुकनाथ संकटहरन तिहूं लोक जवानी कै॥ दाइक अनंद सब लायक अमंद द्रुति वंदन वलित भाल नंदन भवानी के ॥४॥
End.-दूरि किया विष अधरण पियूष प्याइ बढ़न न दोनो हाक मारत निसान की गारडूसी सौते संग सब पचिहारी पे कहू न बायो आनं देकै रुत दान की बामी कजरोटी कौटि पारौ करि प्यारौ कान्ह कारो कील राष्यो तै अनोषी बृषभान को ॥ मंगल लेषकानां च पाठकानां च मंगलं मंगलं सर्व लोकानां भूमि भूपति मंगलं श्री रामजी ॥ श्लोक संख्या हजार ३.०० ।। श्री श्रो० श्री श्रो० श्री० श्री० श्री०॥ ___Subject.-पृ. १ वंदना-नृप कुल वर्णन, भावसिंह, तेगबहादुर, बदन सिंह, अन्तिम को 'वृज' का राज श्री नंदलाल ने दिया, यथा-तिनकै भयो प्रसिद यति बदसिंह सौ लाल । दियो राज बृजि को हरषि जिनको श्री नंदलाल।