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APPENDIX II.
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No. 179 (6). Dhruva Charitra by Soma Nātha. Subs.' tanoe-Country-made paper. Leaves-87. Size-73" x 51". Lines per page-9. Extont-450 Slokas. Appearance--Ola. Character-Nagari. Date of Composition-Samvat 1812 or A. 1). 1755. Date of Manuscript-Samvat 1895 or A. 1), 1838. Place of Deposit-The Public Library, Bharatapur State.
Beginning.-श्रीगणेशायनमः ॥ दोहा ।। ध्यावतु चरननि का सुविधि गावत गुननि मुनीश जन वत्सल श्री वत्स नित जय जय श्री जगदीस ॥१॥ मैत्रेय जू उच्चरे पापु विदुर से बात ॥ ध्रुव चरित्र को भक्ति लषि अतिहि हाषित गात ॥ २॥ कमलनाभि की नाभि तें भया कनक अरविंद ।। तामें कमलासन भयो सुवग्न वग्न अनिंद ।। ३।। स्वायंभुव मनु सुत भया विधि के आनंद कंद ।। सतरूपा ताकी तिया जिहिं मुष मानहुं चंद ॥४॥ म्वायंभुव के सुत भए द्वै कोरति अवदात ॥ जैठी प्रियव्रत दूसरो नाम उतान सुपात ॥ ५॥ वामुदेव को कला हुव दाऊ पुत्र उदार जगकी रक्षा के अरथ मुंदर अरू अविकार ॥६॥ छंद पद्धगे। उत्तानपात कं जुगल भाम ॥ जेठी सुनोति लघु सुरुचि नाम ।। होनि पर भांवति सुरुचि बाल ।। अरु नहिं सुनीति सां नृप दयाल ॥ ७॥ ध्रुव मुत सुनीति को बुधि विनंद ।। उत्तम इहिं नामहिं सुरुचिनंद ॥ इक दिना नृपति उत्तमंहि अंक ।। लीने सु खिलावतु हा निशंक ॥ ८॥
___End.-सारठा । तजि लरिकनि के घ्याल जाइ मात के भवन तं ।। जानें त्रिभुनपान ले लरिकाइ पद उच्च लिय ५५ दाहा॥ माथुर कवि शसिनाथ ने ध्रुव चरित्र यह कीन जाकं गुन वर्नन सुने रीझ हिये प्रवीन ५६ संवत ठारह से बरस बारह जेठ सुमास ॥ कृष्ण त्रोदसो वार भृगु भयो ग्रंथ परकास ५७॥ इति श्री माथुर कवि सामनाथ बिरचिते ध्रुव विनोद पंचमाल्लासः ॥ ५ ॥ श्रीरस्तु ।। मिती ज्येष्ठ वदी ॥ ५॥ संवत् १८९५ ॥ श्री हरिदेवजी सहाय ।।
Subject.-ध्रुवचरित्र की प्रसिद्ध कथा ।
No. 179 (c). Rāma Kaladhara by Sona Nātha. Suby. tance---Country-made paper. Leavos -30. Sizs--11" x 6". Lines per page-24. Extent -900 Slokas. AppearanceOld. Character-Nagari. Place of Deposit-The Publio Library, Bharatapur State.
Beginning.-श्रीगणेशायनमः ॥ दोहा ॥ जय अनादि अव्यय अमल प्रबल तेज के धाम नारायन अवतार जय शुभदायक श्रीराम १ जय महेश सुरसरितधर सामेश्वर भगवान दोजै बुधि शशिनाथ की सुंदर कला निघांन २ है