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सुचि युगल अनन्य अनूप ॥ विदित वेद वेदांत को ज्ञाता वस्तु स्वरूप ॥ २ ॥ जाहिर भादौ मास सम सावन युगल अनन्य ॥ सीलमनी वरषत सुधा दंपति सुजस सुधन्य ॥ २ ॥ वीर वधूटी राग घन सख्य रसा चितचार ॥ नष पद कर वर नैन मद अधर अरुन वर जोर || ४ || घन घुमड तन श्याम घन राम तड़ित सिय वाम ॥ सोलमनी शृंगार रस युगल अनन्य अभिराम ।। ५ ।। सीलमनी षडवस्तुमय लसत कार मकार ॥ रितु वैभव षटशास्त्र रस युगल अनन्य विहार || ६ || वारह रस घटदून दुति दंपति नाम उदार ।। संपति युगल अनन्य की सोलमनी विस्तार ॥ ७ ॥ दुगुनित गुन चौगुन सहस मकल लाक व्यवहार || सोलमनी सव वस्तुमय लषव रकार मकार ॥ ८ ॥ मास पक्ष रितु वरष दिन जाम मुहूर्गत स्वांस || सोलमनी युग वरन मय सकल धांव परकास ॥
APPENDIX II.
End.- पावसमय समुदाय रस घन दामिनि गुन रूप || सदन साहावन सहित श्री सीलमनीश निरूप ।। १०५ ।। जो कोउ रुचि रति लिये पढ़े सुने शत शार। सोलमनी ताको प्रवस रंगमहल अधिकार ।। १०६ ।। शुभं ॥ श्री सीताराम ॥ पद ॥ देषा बदरिया सावन की घेरि घुमड घटा घन चहुं दिशि मनहुं वितान सुहावन की हरित अवनि लहलही मु फुरशे वरस गरज गर लावन की ॥ सीमनी सिय सुंदरि पिय संग बढ़त उमंग झुलावन को ॥ १ ॥ इति श्री स्वामी रामानुजानुग श्री सीतारामानन्य सीलमनी कृत वरषा रितु वरननो नाम ग्रंथ श्री सियाकर मुद्रिका संपूर्ण ॥ शुभमस्तु ॥ शुभं ॥ १ ॥
Subject.—
पृ. १-२ वन्दना, गुरु-वन्दना ।
पु. २ - ६ वर्षा ऋतु की शोभा और श्री सीताराम का वर्षा विहार वर्णन । पू. ६-७ ग्रंथ महिमा ।
No. 174. Śrī Rāma Dhyāna Mañjari by Sivananda. Substance-Country-made paper. Leaves-6. Size - 130 ×6". Lines per page-13. Extent-160 Ślôkas. Appearance-Old. Character—Nagari Date of CompositionSamvat 1878 or A. D. 1821. Place of Deposit-Saraswati Bhandāra, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning. — श्रीमते रामानुजायनमः श्रीजानकीवल्लभो विजयतेतराम् ॥ जै जै श्री रामचंद्र उर अंतरजामा मात पिता गुर इष्ट देव सीतापति स्वामी १ छंद रोला पदपंकज रज सुमिरि सुचित है सीस नवाऊं ध्यान धरन हित