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APPENDIX II.
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Appearance-Old. Charactor-Nagari. Date of Composition -Samvat 1899 or A. D. 1842. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-ॐ श्रीमते रामानुजायनमः अथ श्रीरामरहस्य उत्तरार्द्ध प्रारंभः दोहा वंदि जनक नृप नंदिनी विवुध वंद्य पद द्वंद तासु सुजस आनन्द निधि वरनों द्वंद निकंद १ सौनक सुत बाले बहुरि वानि विनय रस बारि सूत सुमति श्रीराम जस वरनहु विमल बहारि २ चौ. श्रीजानकी चरित अति पावन कहहु प्रथम मुनिवर मनभावन किमि अवतरी अवनि तल आई पुनि किमि बरी वीर रघुराई विविध विलास हास रससानी पुनि किमि करो केलि कल्यानी सुनत सूत बाले वर बैना सुनहु सकल मुनिवर सुषदैना एक समय श्रीपति सुष रासी श्रीसमेत वैकुंठविलासी जो निजधाम परम मन. भावा विष्णु परमपद कहि श्रुति गावा वमै जहां हरि संत सुहाए नित्य मुक्त माधव मन भाए सदा सनेह सहित सविनीता सेवहिं प्रभुपद परम पुनीता जहां मंज मनि मंडित धरनी विमल विचित्र बनै नहिं बरनी। . End.-संवत् नव नव वसु ससी सर सुम दिवस दिनेस फागुन बदि पूरन करो राम रहस्य रमेस २८ ष रस वेद दाहा ष नव गुन चौपाई जान छंद राम नव सारठा रष ससि सरि परिमान २९ जय जय जय श्रीजनकजा जय जय जानकि जानि जय जय जय जानकि रमन राम रहस रस पानि ३० मंगल मूरति मैथिली मंगल कासलचंद रत्नहरिहिं मंगल सजहु सदा सदा गति नंद ३१ सुरगिरा छंदः यद्वाल्माकि मुखादि शक्तितनयेनाधोतमासोत्पुरा प्रोक्तं तेन निजात्मजाय मुनये तेनापि सूताय च सूतेनापि च शानकाय विदे सूक्तं सतां संसदि सारात्सारतरं तदेव परमं पुण्यं प्रदं भाषया ३२ श्रीमन्नानक वंक्ष्य सप्तम गुरोर्मार्गे सतां शर्मदे गंतुः संगत संशकस्य सुगुरोः सत्संप्रदाये सदा श्री घम्हाचल शिष्य रत्नहरिणा श्री लक्ष्मणार्यान्वपि स्वामि श्री जयधेनुपाल कृपया सद्ब्रह्मविद्यावता ३३ श्रीमद्रानि गुलावसिंह नृपतर्यासीद्रमारूपिणो रम्या रामकुमारि नाम रमणी तद्देह सज्जन्मना श्रीमत्साम सरोभिधे सुनगरे संवासिनो रासिना श्री मद्रामरहस्य कंस मुदितं सम्यक जनां प्रीतये ३४ इति श्रीमद्रामरहस्ये रत्नहरि विरचिते श्रीस्कंद पुराणाख्यान श्री सत्योपाख्यान भाषा व्याख्यान प्रवंधे एकोनाशीतितमोध्यायः ७९ समाप्तमिदं श्रीराम रहस्यम् ॥
Subject.-श्रीरामचरित्र वर्णन
पृष्ठ ४९ श्रीजानकी जी का जन्म, सोताचरित्र वर्णन, शिव धनुष का उठाना तथा जनक राजा का प्रण करना, राम जी का विश्वामित्र के साथ जाना, धनुष भंग करना तथा श्री जानको-राम-विवाह वर्णन । अध्याय ६३