________________
APPENDIX 11.
327
सदा सबके साधक राम जाचौ जाइ कहा तुम्है तनि तुच्छन के नाम ३ श्री गुरु स्तन हरी करी रत्नमाल सुषषानि पहिराइ सिय रत्न हरि हिय प्रमोद मन मानि ४ संमत मातम नैन नव ससि पंचमि मधु मास गुरु मानन मृगपति स्वकर लिष्यो ग्रंथ सुषरास ५ जै जै जै जानको रमन जै लछिमन हनुमान जै श्री भरत सत्रुधन सवहि करहु कल्यान ६ रामायनमः ॥
अथ कुस लव कोसल कंवर कुंवर कुसन वलि केतु कोसन केतु करे जुगल जुगल कोसला केतु २१ सुवन भरत भावत भले भरत भय गुन रूप पुसकल तक भए उभय उभय सिंधुतट भूप २२ लषन ललन के ललन जुग अंगद औ धुज चित्र करे कारुपद देस के नुभ नरेस नत मित्र २२ सत्रु समन के सुवन सेा उसचि सुचारु अग्मिार सूरसेन सह साभ ए सूरसेन सरदार २३ इमि सवको सव सुषद प सुषद दासरथि देव सजत सदा साकेत मृत सहसिय सुजन सुमेव २४ निधि निमिवंस मुरतन सिय पियहरि रतन रसाल होहु रतन हरिदास दिस दासरशी सुदयाल २५ दासरथी दोहावली दासाथी रवि दीनि दासरथी के दाम हरि ग्नतदास लिषि लोनि २६ इति क्षत्री दासरथी दोहावलो दासरथि दास रतनहरि दरसितायां संवदन विंसति सतो परिविंशतिम ज्येष्ठ शुक्ल नवम्यामुतरकांड समाप्तिरभूत ॥
Subject.-श्री गमचरित्र वर्णन ।
No. 162(6). Duri Durārtha. Dohāvali by Ratna Hari. Substance-Country-made paper. Leaves-5. Size-11 inches x3 inches. Lines per page-10. Extent-160 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Date of Composition-Samyat 1921 or A. D. 1864. Date of Manuscript Samyat 1923 or A. 1). 1866. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्रीरामायनमः अथ दूरादूरार्थ दाहावली दोहा भज भव भय करतर(करतार) ते भज भज भव करर्तर(करतार) तज भव (भय) भरतर (भरतार) को तज भव भय भरतार १ भजन भजन तें भजन भव तव भव भव भव होइ भजन भजनि को भय दहै है अभयद को जोइ २ रतन रतन जे जगत में जगत रतन तंह ताइ राम रतन में रतन सेां ता तुल रतन न जोइ ३ सरन राम की सरन सर सरन जासु जग पान विनही सरन सु सरन ते सर प्रभु सरन मुजान ४ वरन चाह जी राम की वरन चाह कोउ और वरन रघुवर न वहि वर वरन वरन मुष ठौर ५ नाम मात्र हैं। रतन हरि अरतन अघो अथोर तउ रखिहे राउर विरद रघुवर जो वरजोर रतन हरा के रतन