SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 322 APPENDIX II. पट पीत पुनीत धनुहिंयां लीन्हें छाजत कहि न जात वानिक कछु सजनी नवन सजन संग गजत आवत हंसत चपल अंग अंगन नूपुरन पगन वजावत रामसषे यह लसनि कि उर निरषि मदन प्रति लाजत ३ End.-राग सुधराई ग्रडैौ चौतारी चंद तै सियरी प्यारी वतिया ललन की तिही सुमरन भरी छतिया लगन तैसिय पिनाक कर लीन्हें काम इंद्र कैसी ary घुर्मा मुष सावरे गगन निनिदसन नैन अंजन अंध्यारी तामें जुलफैं उदंड मुनि प्रान को ठगन रामसपे कंपि रत वादें कंत मिलवे की सुनि के परति ग्राइ मानिनी पगन ७७ राग सूहा अडी तितारौ प्यारी मैं कैसे गनौं कलकंद तिहार राज कपट भरे अंग पुनि कारे नाक होन कोन्हों हंसि सूपनषा विचारी hraf स्वरूप लोचन जिन धारे विना दोष मारेव छपि वाली अस संत तानै सप्त सिंधु जय करि कम जारे राममपे वाढ़े गुन सेवरी की जूठ पाया मुनि सिकार आदिक अघगारे ॥ १७८ ॥ इति श्रीमन्मध्वाचार्य कुलाब्धि चन्द्रेण सीतारामचन्द्रोपासकाचार्यवर्येण श्रीमद्रामसषेद निध्याचार्येण विरचितायां श्री सीतारामचन्द्र रहस्य पटावली संपूर्णम् ॥ Subject. -- श्रीसीताराम की रहस्यमयी विविध लीलाओं के विविध पद । No. 159(a). Yugala Sancha Vinoda by Rasika Vallabha Sarana. Substance-Country-made paper. Leaves-3. Size62 inchos × 34 inches. Lines per page - 7. Extent - 35 Ślokas. Appearance—Old. Character — Nagari. Place of Deposit— Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya. Beginning.—श्रीसीताराम जू ॥ दाऊ दुहं की मनोहर माधुरी दषि रजू निमेष विसारी ॥ दाऊ दुहं मुसक्यानमई वतिमान में प्रान करै वलिहारी ॥ दाऊ दुहन के रंगरंगे, रंग अंग में वाही रमैं रुचिधारी ॥ पी का लगे प्रिय पीत पटू को भटू को लगै प्रिय सामरी सारा ॥ १ ॥ देाऊ दुहुं स (स्व) रूप छके ललकै न परै पनकै नि है । दाऊ दुहून को हास विलास हुलास समे जानत धोस निसान है || दाऊ दुहं के सनेह सुभाय समाय रहे उपमान न आन है || दाऊ दुहून के प्रान के प्रानु सुजानिये जान के जान निदान है ॥ २ ॥ है वलिहारी निहारि दाऊ दुहं वारि उतारि पिऐ अति प्यार सेा ॥ दाऊ दुहुं के दुकून हिए छुपकाए as प्रति आनद भार सेां ॥ दाऊ दुहन के सुनाम सुनै सनै सागुने स्वाद सुधारस धार सेा ॥ दाऊ दुहन को गोद भरै थहरें अंग मोद विनोद अघर सेा ॥ ३ ॥ End. -- दोऊ दुहूं अपने करकंज सुव्यंजन मंजु मजे मे पवावै ॥ देाऊ दुहं मुसुक्यानि महारस पानि विलेाकनि पै वलि जावै ॥ दाऊ दुहं मुष दै विरियां लषि
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy