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________________ 321 राग हमीर बड़ी तार || प्रानि सिया राम रास मधि राजे गावत दाउ विमलादि सषिनि मिलि नृत्य वेष प्रति छाजै वन प्रमोद कुंजन द्रुम फूले मंत्र मंत्र बहु वाजे रामसषे लषि यह दंपत रति रतिप तिहू जिय लाज ॥ ३ ॥ End.—जल थल सिकार नभ पेलें चागांन कहूं कहूं रास मंडलि जुड़ावति ति मान की ॥ गजरथ तुरंग वाहन विमान तपत सहित दरवार कहूं मेटि इंद्रसान कीं || देस देस भूपन को भेटे नजरि करति कहूं कुसुम चाप धारि चीरै. जन प्रान क ॥ रामसवे मची रहें पैसें नित्य राजलीला कोटिन अवध माह संतन सुषदान की ।। १२७ ।। इति श्री रामसषे विरचितं कवित्तावली संपूर्ण ॥ श्री नृत्य राघव अवधि प्रमोद वन सरजू चिरत सीताराम हनुमान यो जो जो रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा रामा ॥ Subject. - विविध पदों के संग्रह | पृष्ठ १-७ ७-८ ८-१० १०-११ "" 23 " APPENDIX II. "" राम रस पद्धति - विविध छन्दों में । दानलीला | रामायण मुकुर । षड परत्व पंचक । ११ - १६ १६- २२ "" No. 158 (f). Śrī Sita Rama Chandra Rahasya Padāvalī by Rāma Sakhē of Ayādhyā. Substance- Country-made paper. Leaves-21. Size-9 inches 4 inches. Lines per page-12. Extent-800 Ślōkas. Appearance-Old. Charac. ter—Nāgari. Place of Deposit-Saraswati Bhaṇḍāra, Lakshmana Kota, Ayodhyā. Beginning. - श्री मन्न्थप ( मन्मध्व ) राधवाय नमः ॥ राग भैरा चौतारी ॥ राघव भारहीं जागे नींद भरी अषियां मन भावन वैठे उठि फूलन सज्या पर कोटिन काम लजावन मृदु मुसुक्यान जमात सियातन झुकि झुकि परत सुहावन x रामसंवे या मधुर रूप लषि मा जिय अतिहि जियावन १ राग घट आडै तितारी ॥ तेरी चांडियां मेरा मन हरि लीन्हा देषतही सुनु दसरथललवा हौं जो भई बावरी सो अव डारि दया पढि जनु कछु छलवा ॥ फिरिहों संग तुम बदन विलोकत निदरि सवै पुर गुरजन बलवा रामसवे प्रति रूप लाभानी कल न परै विच घर छिन पलवा २ राग दरबारा टोडी चंपकला २ जर कसी चीरा मुष में वौरा सार्दै कंधन दोहावली । कवित्तावली ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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