SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 326
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX II. 319 ष्टक सम्पूर्णम् ॥ लिषितं हरिनामदास श्री अयोध्या मध्ये श्री जानकी घाट कुजन मैं ॥ Subject.-श्रो सोताराम मङ्गलाष्टक-ध्यान प्रातःकाल का ॥ No. 158(d). Nritya Rāghava Milana by Rāma Sakho of Ayodhya. Substance-Country-made paper. Leaves --46. Size-94 inchos x 41 inches. Linos per page-8. Extont-600 Slokas Appearance-Old. Character-Nigari. Date of Composition.-Samvat 1801 or A. D. 1747. Place of Depositi -Saraswati Bhandara, Lakshinana Kota, Ayodhya. Beginning.-श्री जानकीजीवनो विजयते दोहा ॥ करि उर ध्यान वशिष्ट गुर रामसखे मृदु सील भनै नृत्य राघव मिलन अद्भुत रंगन रंगील १ विविधि केलि युत प्रेम घर रूप द्रव्य भंडार । विलन नृत्य राघव मिलन रसिकन का अधिकार २ श्रुति सम्मत अरु युक्ति करि और जगत अनुमान । सुनि जिय इस षंड तन तामै निज विज्ञान ३ प्रथम कहाँ यह तत्थ विचारा ताकरि हाय इष्ट प्रण भारा । तत्वमसि श्रुति वाक्य प्रधाना तत अव्यय षष्ठी प्रस्थाना । करत बूढ़ जे जिय परिनामा तिनके संग न करि विश्रामा। जिय विनु ईश नाम नहिं लहिये. तो अनीशवादी वे कहिये। वे जग गुप्त सेव राजानौं उनकी कहनि कदाचित मानौं ॥श्रुति कहै इक ब्रह्म दुतियो नाहों तामु हेत यह गुनि मन माहीं ॥ ब्रह्म वृहद याते इक कहिये दूसर जिय लघु तुल्य न लहिये जियन बीच व्यापक ब्रह्म साई जिय विनु ब्रह्म नाम नहिं हाई ॥ End.-हनुमत शिव व्यासादि मुनि तिन को मत लषि चारु ॥ भन्यों नृत्य राघव मिलन रामसपे रस सारु ॥१४५ ॥ सुनि नृत्य राघव मिलन समुझि करें पनि नेह ।। वसै म जै गापर अवध वन प्रमोद रस गेह।। १४६॥ ग्रंथ नत्य राघव मिलन विना सुनै जिय अंधि । जिय ईश्वर निज रूप को जाने कहा निबंध ॥ १४७ ।। पढ़त नृत्य राघव मिलन करै काउ नर नारि पावत तंह सब त्रियन जुत राम नरन तन धारि ॥ १४८॥ संमत अष्टादश चतुर शुक्ल मधुर मधु तीज ॥ भयो नृत्य राघव मिलन उद्भव सब रस बीज ॥ १४९॥ गंति नृत्य राघव मिलन दाहा इक सत तोस और बीस पुनि चापही द्वैसै दस झालीस ॥ १५० ॥ इति श्री रामसखे विरचित नृत्य राघव मिलन ग्रन्थ रसिक आश्चर्य वर्णनो नाम अष्टादशो प्रसंगः ॥१८॥ संवत् ॥ रचित नृत्य राघव मिलन राममखे अनुकूल ॥ लिषत दास हरि नाम कर षटरितु अरु तम मूल १ दंपति रस रसना रसित यह वर चरित सुराम ।। कहत सुनत रस प्रेम भर वरदायक अभिरामः॥२॥ श्री ATATTTA ATTTTA X X X X X X X
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy