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APPENDIX II.
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___Beginning:-श्री नृत्य राघवाय नमः॥ राग इमन चौतारी ॥ करत दोड़ परस परस सिंगार ॥ गौर वरण तन राजकुमारी सांवल राजकुमार । धरत चंद्रिका कीट शिरन पर पहरावत उर हार ॥ अंखियन में अंजन प्रांजत जनु सान धरत सर मार ॥ नकवेशरि मोती जु संभारत दर्पण वदन निहार ॥ रामसखे या जुगल रूप पर वार वार वलिहार ॥१॥राग हमीर बड़ो तार ।। अहो प्रालि देषि रामसिय रासमंडल की बनि ठनि के दोउ पावत ॥ शीश चन्द्रिका कीट मनोहर कर लिये कमल फिरावत ॥ बढ़े नोल पीत पट अंगन हंसि हंसि पानन पावत ॥ रामसखे दंपति रसभीनै मो मन को अति भावत ॥२॥राग हमीर बड़ो तार ॥ पानि सियाराम रास मधि राजै ॥ गावत दोउ विमलादि सषिन मिलि नृत्य वेष अति छाजै ॥ बन प्रमोद कुंजन द्रुम फूले जंत्र तंत्र बहु बाजै ।। राम (स)खे लषि येह दंपति रस रतिपतिहुं जिअलाजै ॥३॥राग इमन पाडौ चौतारौ ॥ रमां प्यारी लाल नाचै नाचै नूपुर बाजै छम छम छन न न न रामसखे वार हो जनकसुता लषि प्राण ता थेइ ता ता थेइ ता उ घटितन न न न ॥ ४॥
End.-राग आसावारी आड तितारौ ॥ अवधि पिय प्यारे मा पै लीजियै दही रोस न करियै ।। है। दासी तुव जनम जनम की प्रोति पुरा चित धरिये ॥ कीजियै पान ग्रहन हरि मेरा गुरुजन लाज न डरिये ॥ रामसखे अव वसि प्रमोद वन दिगन रूप रस भरिए ॥११॥राग पाडौ तितौरा ॥रामा रे रामा रे सा मिलि प्यारे रामा रे ॥ पावति हम गारस वेचन मिसि तुंव कारण सुनु स्यामा रे ।। देषि देषि मुषचन्द माधुरी विसरों सव घर कामा रे ॥ रामसखे अव विलसि हमें लै या प्रमादवन धामा रे ॥१२॥३॥ श्री रामसखे विरचितं ॥ दानलीला ॥ संपूर्णम् राम सीताराम सीताराम सीताराम ॥
Subject.-श्री सीताराम विहार वर्णन ॥
No. 158(6). Kavitta by Rāma Sakhē. SubstanceCountry-made paper. Leaves-5. Size-8 inches x3 inches. Lines per page-7. Extent-75 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya.
Beginning.-श्रीगणेशाय नमः श्रीरामो जयति ॥ कवित्त ॥ घुम घुमारी गुलाब को घांघरी पीत चवेली को ओढनी झीनी कंज की लाल कसे कल कंचुको नील जूही को संजाफ जो दोनी चंपे के हार कनेर को चन्द्रिका देखि कै चित्त भई रति होनी फटक शिला पैरामसखे प्रिया फूल सिंगार सिया छवि कोनी १ पीत चमेली को लसै सिर कोट सुगुका है स्वेत चमेला को भारी कदंव के कुंडल कंद के हार इजार गुलाब की नारी निवारो कटि कंज की
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